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विश्वस्तरीय मेडिकल कॉलेज खुद कोमा में, दस बजे तक आते है तीन डॉक्टर

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प्रशांत कुमार/ मधेपुरा/ जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कॉलेज इलाके के लिए सफ़ेद हाथी साबित हो रहा है. 800 करोड़ की लागत से बनी मेडिकल कालेज में सुविधा के नाम पर मरीजों को कुछ भी नहीं मिल रहा है . सरकार और प्रशासन के लाख दावे के बाबजूद यहाँ लोगों को सही इलाज नहीं मिल पा रहा है. यदि आप पुराने कहावत को याद करें- 10 बजे तक लेट नहीं, 12 बजे के बाद भेट नहीं तो इसी तरह से चल रहा है मेडिकल कालेज .

सोमवार को कोसी टाइम्स टीम ने मेडिकल कॉलेज के अस्पताल का पड़ताल किया तो स्थिति बदहाल दिखी. जहाँ अस्पताल का ओपीडी आठ बजे शुरू होना था तो वो दस बजे भी पूर्ण रुप से नही खुला. दिन के दस बजे तक ओपीडी में केवल तीन चिकित्सक अस्पताल में मौजूद थे.

अल्ट्रासाउंड में लम्बा भीड़ लेकिन विशेषज्ञ गायब थे.ओर्थो में लम्बी भीड़ लेकिन चिकित्सक गायब थे. सर्जरी के चिकित्सक 9.32 में पहुंचे जब उन्हें नर्स ने फोन किया कि कोसी टाइम्स से लोग आकर रिपोर्ट कवर कर रहे है. शिशु रोग विभाग में चिकित्सक गायब दिखे.आँख, कान,नाक,गला, गायनो आदि विभाग में भी चिकित्सक गायब थे. इसी तरह मेडिसिन विभाग में भी डॉक्टर नही थे.

7 मार्च 2020 को अपने सपने को साकार होता देख सीएम नीतीश कुमार बहुत खुश थे.उनकी ख़ुशी उनके संबोधन में झलक रही थी. करीब 15 वर्ष लगे थे उनके सपने को साकार होने में. जी हाँ मधेपुरा के जन नायक कर्पूरी ठाकुर मेडिकल कालेज अस्पताल को बनने में . लेकिन आज इसकी स्थिति बदतर हो गयी है. मरीज बाहर बेहाल दिख रही थी लेकिन अंदर चिकित्सक गायब.

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जब इस सम्बन्ध में अस्पताल अधीक्षक डॉ बैदनाथ ठाकुर से बात किया गया तो कहा मै अस्पताल में नही हूँ लेकिन मै जाँच करवाता हूँ कि चिकित्सक क्यों नही है.जब कहा एक बार मिलना चाहता हूँ विस्तृत बात करना चाहता हूँ तो कन्नी काटने लगे.

भनक लगते ही ही पहुंचे उपाधीक्षक : जब अधीक्षक को जानकारी मिली तो उन्होंने उपाधीक्षक को भेजा लेकिन स्थिति देख वो भी चुपचाप लौटने लगे.जब सवाल कोसी टाइम्स ने सवाल किया कि दस बजे तक कोई चिकित्सक नही है तो उन्होंने बात गोल गोल घुमाते हुए कहा जितने लोग आये है सभी का इलाज किया जायेगा.

कैमरा चमकते ही बंद कमरे का खोलने लगा दरवाजा : दस बजे तक जब चिकित्सक अपने कक्ष नही पहुंचे थे तो इस बीच कोसी टाइम्स ने जब बंद कमरे का फोटो लेना शुरू किया तो मौजूद गार्ड ने फटाफट बंद दरवाजे का गेट खोलना शुरू कर दिया.इस बीच कई बार गार्ड नर्स उलझना भी चाही.

प्राचार्य पहुंचे ग्यारह बजे के बाद तो अधीक्षक पहुंचे बारह बजे के बाद : मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य 11.51 बजे परिसर पहुंचे जहाँ अस्पताल अधीक्षक करीब एक बजे अपराह्न अपने कक्ष पहुंचे. विश्वस्त सूत्र बताते है कि ये स्थिति आज की नही है कोविड के बाद लोगों को यहाँ इलाज नही मिल पाता है.

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