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चुपके से मैनेजर साहब दवाई को लगा रहे थे ठिकाना ,लेकिन एक गलती ने कर दिया रंग में भंग

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सतीश आलोक/त्रिवेणीगंज,सुपौल/ कहने का तो त्रिवेणीगंज में अनुमंडलीय अस्पताल हैं, लेकिन आए दिनों अनुमंडलीय अस्पताल अपने अजब – गजब कारनामे से घिरे रहते हैं। मरीजो को मुफ्त वितरण के लिए आई जीवन रक्षक दवा को ठिकाना लगाने का सनसनीखेज मामला बुधवार को प्रकाश में आया है। हालांकि यह मामला प्रकाश में भी नही आता लेकिन हेल्थ मैनेजर के पैसे देने से इंकार करने के बाद स्वीपर ने दवा जलाने से इंकार करते हुए मैनेजर पर वादा खिलाफी का आरोप लगाते हुए जोर -जोर से चिल्लाना शुरू कर दिया। जिससे यह मामला लोगों के नजर में आ गया।

प्राप्त जानकारी के अनुसार बुधवार को सरकारी दवा को आग लगा कर गढ्ढे में समाप्त करने के लिए ढेर सारी दवाएं हेल्थ मैनेजर ने एक स्वीपर को दिया और इस दवा को ठिकाने लगाने के लिए 500 रुपये देने का वादा भी किया गया था । स्वीपर ने दवा को झाड़ी में फेंक कर मैनेजर से तय रुपये देने की मांग की तो मैनेजर मनाही करने लगा । गुस्साए स्वीपर ने हंगामा कर मैनेजर पर वादा खिलाफी का आरोप लगाया, जिससे आम लोगो सहित स्वास्थ्य कर्मियों को भी मामले की जानकारी हुई। दवाओं में डोकसीसैकलिंन की दवाएं , मेट्रोनिडाजोल की टेबलेट सहित कई ब्रांड की दवाएं थी । कई दवाओं पर एक्सपाइरी डेट सितम्बर 19 दर्ज था ।

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कुछ लोगों का कहना है कि अस्पताल प्रबंधन मरीजों को दवा नही देते हैं। दवाओं को बाजार में बेचने के लिए छुपाकर रखी जाती है, बाद में उसे बेच दी जाती है, या एक्सपायर होने पर समाप्त कर दी जाती है। हालांकि यह मामला प्रखंड में जंगल में आग की तरह फैल गई हैं। मामले के बाबत पूछे जाने पर हेल्थ मैनेजर प्रेम रंजन ने कहा कि उन्हें मामले की जानकारी नहीं है। वही अस्पताल उपाधीक्षक डॉ आर पी सिन्हा ने मामले से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि उन्हें जानकारी नहीं है। वे पता कर रहे हैं।

वैसे अधिकांश दवा एक्सपायरी थी जिसे अस्पताल प्रशासन इस लॉक डाउन में जला देना छह रही थी लेकिन एक वादाखिलाफी ने पुरे रंग में भंग डाल दिया.इस मामले के सम्बन्ध में सभी जिम्मेवार लोग बताने से इनकार कर रहे है.अब देखना दिलचस्प होगा कि किस परिस्थिति में ये दवाई एक्सपायर कर गयी कि लोगों के बीच बांटा नही जा सका और चोरी चुपके इसे नष्ट करने की सोचनी पड़ी.

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