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कोटा से मधेपुरा पहुंचा छात्रों का जत्था ,पांच घंटे तक नही मिल पाया एक घूंट पानी

छात्रों के अभिभवकों ने जताया आक्रोश ,कहा जानवर की तरह बच्चों को ठूस ठूस कर लाया गया है

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मधेपुरा/ शक्रवार को छात्रों का कोटा से मधेपुरा पहुंचने का सिलसिला करीब चार बजे शुरू हो गया .इस बीच छात्रों को पानी और भोजन के लिए खूब तरसना पड़ा .कुल 511 छात्र मधेपुरा के थे जो सहरसा स्टेशन पर करीब पांच घंटे तक एक घूंट पानी के लिए तरसते रहे जबकि अभिभावकों या अन्य लोगों को छात्रों के लिए नास्ता या पानी देना मना था.मधेपुरा पहुंचे छात्रों का हाल चाल लेने जब मीडियाकर्मी बी एन मंडल स्टेडियम पहुंचे तो अधिकारी बिफर गये .एडीएम ने मीडियाकर्मियों को तुरंत बाहर निकल जाने की हिदायत दे डाली.

एडीएम शिव कुमार शैव खुद माइक से पत्रकारों को बाहर करने की बात कर रहे थे जबकि इस सम्बन्ध में पत्रकारों के लिए वाहन कोषांग क्षेत्र स्टेडियम के प्रतिबंधित क्षेत्र होने की बात नही कही गयी है.

छात्रो ने बात करते हुए बताया कि उनकी गाड़ी सहरसा करीब नौ बजे पहुँच गयी थी .वह बारी बारी से सुपौल और सहरसा के बच्चों का स्क्रीनिंग किया गया उसके बाद मधेपुरा को छात्रों को निकाला गया.करीब तीन बजे छात्रों को मधेपूरा के लिए बस द्वारा भेजना शुरू किया इसी दौरान उन्हें दो केला ,छोटा बोतल पानी और कुछ स्नेक्स दिया गया .इससे पूर्व पांच घंटे तक छात्रों को न भोजन मिला न पानी.वहीँ जब छात्रों से खाना के बारे में पूछा गया तो बताया कि आज खाना नही मिला है बस तीन बजे के करीब वहीँ आधा लीटर पानी ,दो केला और स्नेक्स मिला था .

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इस बीच स्टेडियम गेट के बाहर दर्जनों अभिभावक आक्रोशित दिखे.उन्होंने जिला प्रशासन पर बच्चों के अनदेखी का आरोप लगाते हुए कहा कि सहरसा से बच्चा बस में खड़ा होकर आया है ,जानवर के तरह जब बच्चों को ठूस कर लाना था तो फिर शारीरिक दुरी का ख्याल कहाँ रहा.बच्चो को अब तक दिन का भोजन नही मिलने से अभिभावक और भी आक्रोशित थे. अभिभावकों ने कहा जब सरकार या जिला प्रशासन को खाना का व्यवस्था नही था तो पहले सूचित कर देते हमलोग खुद से अपने बच्चे के लिए खाना का व्यवस्था करके आते.

वहीँ एक अभिभावक जब अपने बच्चे को बस में सुखा खाना देने का कोशिश किया तो पुलिस ने उसे माना कर दिया जिसपर अभिभावक बिफर गये .अभिभावक ने पुलिस पर तंज कसते हुए कहा कि जब जिला प्रशासन को बच्चों के खाना का प्रबंध नही है तो कम से कम अभिभावक को तो देने दे.बच्चे भूख से क्यों मरेंगे ?

भले ही छात्रों को आने में खूब परेशानी का सामना करना परा हो लेकिन उनके चेहरे पर अत्यंत ही ख़ुशी देखि गयी कि वो घर पहुँच गये है.छात्रों ने बताया कि सरकार ने सैकड़ों छात्रों को बचा लिया है वहां न हमलोगों को भोजन मिल पा रहा था न पढ़ाई हो पा रही थी.

 

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