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बिहार : पुलिस से सांठ गाँठ कर फर्जी मुकदमा में पत्रकार को भेजा जेल, न्यायालय ने 24 घंटे बाद ही दे दिया बेल

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पटना/ कई बार पत्रकारों को समाज में हो रहे अवैध कारोबार आदि पर खबर लिखना भारी पर जाता है. क्योकि कई बार ऐसे अनैतिक कारोबार को शासन या उसके तंत्र का संरक्षण प्राप्त होता है। अपराधी और पुलिसिया गठजोड़ का शिकार हमारे कोसी टाइम्स कटिहार के जिला संवाददाता रुपेश कुमार को भी बनाया गया। उसे बस इसलिए गिरफ्तार कर लिया गया था चूँकि कुछ दिन पूर्व एक फर्जी अस्पताल की खबर उन्होंने कोसी टाइम्स में प्रकशित किया था जिसके बाद उस अस्पताल पर स्वास्थ्य विभाग ने कार्रवाई कर दिया था। इसके बाद अस्पताल संचालक ने पत्नी से पत्रकार पर एससी एसटी एक्ट में मामला दर्ज करवा दिया।

पत्रकार,रुपेश कुमार

इससे पूर्व भी रूपेश ने कई ऐसे खबर लिखे जिसपर अपनी इज्जत बचाने के लिए साशन और उसके तंत्र को कार्रवाई भी करनी पड़ी। लेकिन उसकी हर खबर भ्रष्ट पुलिस अधिकारियों को चुभती थी। ऐसे में फर्जी नर्सिंग होम संचालक की पत्नी द्वारा किया गया एससी/एसटी का केस पुलिस के लिए रूपेश से बदला लेने का अच्छा मौका दे दिया। स्थानीय पुलिस ने फर्जी केस दर्ज किया, डीएसपी ने साहब ने उस मामले को ट्रू कर दिया और आईजी साहब ने दरबार में न्याय मांगने गए पत्रकार रूपेश को गिरफ्तार करवा दिया। धन्य है बिहार के पुलिस और अधिकारी। आईजी साहब ने बताया बिहार में दरोगा और आईजी में कोई अंतर नहीं बस थोड़ी भाषा परिस्कृत मिलेगी।

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पोठिया ओपी अध्यक्ष सुनील कुमार राय

रूपेश की गिरफ्तारी पर फलका थाना भ्रष्ट पुलिस कर्मी और अधिकारी जश्न में डूब गए। बजाप्ता वहां पहले तैनात रहे पोठिया ओपीध्यक्ष सुनील कुमार सिंह को भी इस जश्न में शामिल होने के लिए बुलाया गया। क्योंकि एक खबर से उसे भी दर्द हुई थी एसपी साहब ने कुछ दिनों के लिए सस्पेंड कर दिया था। पुराने खबर का खीस उतारने रात को ही वह फलका थाना पहुँच गया और रूपेश के साथ मारपीट किया । अगले दिन रुपेश कुमार को रिमांड के लिए न्यायालय में पेश किया गया। रूपेश ने अपनी पीड़ा जज साहब को सुनाया। जिसपर उन्होंने संज्ञान लेते हुए पुलिस अधिकारी और कर्मी से शोकॉज मंगा और रूपेश को जेल भेज दिया।

पुलिस को लग रहा था फर्जी मुकदमे द्वारा जो कुख्यात का रूप रूपेश को दिया गया है न्यायालय उसपर विश्वास कर लेकिन ऐसा नहीं हुआ। इसके अगले ही दिन न्यायलय ने उसे बेल पर रिहा कर दिया। यह बात एक बार फिर न्याय की जीत और उसके प्रति हमारी आस्था को बढ़ा देती है।

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