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सहरसा:चातुर्मास में भगवान हरिशयनी एकादशी को शयन करने जाते हैं पाताललोक ,सभी शुभकार्य होते बंद

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सुभाष चन्द्र झा
कोसी टाइम्स@सहरसा

इस माह देवशयनी एकादशी 12 जुलाई 2019 को हैं,आषाढ़ मास के शुक्ल पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को देवशयनी एकादशी कहा जाता है।देवशयनी एकादशी को हरिशयनी एकादशी अथवा आषाढ़ी एकादशी भी कहा जाता है और शास्त्रों में इस एकादशी को अत्यधिक महत्वपूर्ण माना गया है। देवशयनी एकादशी के आरंभ होते ही सभी प्रकार के शुभ कार्यों यथा विवाह , वधु द्विरागमन , उपनयन संस्कार , गृह प्रवेश आदि पर विराम लग जाता है।
देवशयनी एकादशी के दिन से देवउठनी एकादशी तक भगवान श्रीहरि चार महीने के लिए पाताल लोक में शयन हेतु चले जाते हैं। इसलिए इस चार महीने को चातुर्मास कहा जाता है।
देवशयनी एकादशी पूजा विधि
देवशयनी एकादशी व्रत की शुरुआत दशमी तिथि की रात्रि से ही हो जाती है। दशमी तिथि की रात्रि के भोजन में नमक का प्रयोग नहीं करना चाहिए। अगले दिन प्रात: काल उठकर दैनिक कार्यों से निवृत होकर व्रत का संकल्प करना चाहिए।
इस एकादशी को ब्रत /उपवास रखते हुए भगवान विष्णु की प्रतिमा को पंचामृत से स्नान कराकर आसन पर आसीन करें और उन्हें पीत वस्त्र पहनायें और पीत उत्तरीय भी कंधे के दोनों तरफ से ओढ़ाएं,उनका षोडशोपचार सहित पूजन करना चाहिए। तत्पश्चात भगवान की धूप, दीप,पीले पुष्प आदि से पूजा करनी चाहिए।

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पूजा के समय निम्न मन्त्रो का उच्चारण करते रहना चाहिए

सुप्ते त्वयि जगन्नाथम जगत सुप्तम भवेदीदम।
विबुद्धे त्वयि बुद्धयेत जगत सर्वम चराचरम।।
भगवान को समस्त पूजन सामग्री, फल, फूल, मेवे तथा मिठाई अर्पित करने के बाद विष्णु मंत्र द्वारा स्तुति की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त शास्त्रों में व्रत के जो सामान्य नियम बताये गए हैं, उनका कठोरता से पालन करना चाहिए।आषाढ़ शुक्ल हरिशयनी/ देवशयनी एकादशी की कथा
धर्मराज युधिष्ठिर ने कहा- हे केशव! आषाढ़ शुक्ल एकादशी का क्या नाम है? इस व्रत के करने की विधि क्या है और किस देवता का पूजन किया जाता है? श्रीकृष्ण कहने लगे कि हे युधिष्ठिर! जिस कथा को ब्रह्माजी ने नारदजी से कहा था वही मैं तुमसे कहता हूं। एक समय नारदजी ने ब्रह्माजी से यही प्रश्न किया था।तब ब्रह्माजी ने उत्तर दिया कि हे नारद तुमने कलियुगी जीवों के उद्धार के लिए बहुत उत्तम प्रश्न किया है, क्योंकि देवशयनी एकादशी का व्रत सब व्रतों में उत्तम है। इस व्रत से समस्त पाप नष्ट हो जाते हैं और जो मनुष्य इस व्रत को नहीं करते वे नरकगामी होते हैं। इस व्रत के करने से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। इस एकादशी का नाम पद्मा है। इसे देवशयनी एकादशी, विष्णु-शयनी एकादशी, आषाढ़ी एकादशी और हरिशयनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है।

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