Kosi Times
तेज खबर ... तेज असर

ये हमारा Archieve है। यहाँ आपको केवल पुरानी खबरें मिलेंगी। नए खबरों को पढ़ने के लिए www.kositimes.com पर जाएँ।

- Sponsored -

- Sponsored -

- sponsored -

आपकी सफलता में है आपके मित्रों का अहम योगदान

- Sponsored -

 

संजय कुमार सुमन 

साहित्यकार 

किसी भी व्यक्ति के जीवन को सफल और खुशनुमा बनाने में कुछ ख़ास लोगों का अहम हाथ होता है। इनमें से कुछ लोग आपके परिवार से, तो कुछ लोग बाहर से भी हो सकते हैं। सच्चे मित्र इस लिस्ट में सबसे ऊपर होते हैं ।सच्चे मित्र का मिल जाना अपने आप में बेहद भाग्यशाली भेंट है।किसी विद्वान का कथन है, ‘एक अच्छा, सद्चरित्र, लगनशील और मेहनती मित्र सौ दोस्तों की उस पूरी टोली पर भारी साबित होता है जो मूर्ख और निकम्मे हैं।’ सच भी है कि जो खुद भटका हुआ है, वह हमारे लिए भला कैसे सहायक साबित हो सकता है। खासकर, उम्र के इस मोड़ पर, जबकि हमें अपने जीवन का रास्ता तय करना है। इसलिए दोस्त बनाते समय अच्छे बुरे का ध्यान अवश्य रखा जाना चाहिए।बिना मेहनत और मजबूत आत्मविश्वास के सफलता की कल्पना भी नहीं की जा सकती। सो, आप जिस किसी को अपना मित्र बनाएँ, उसमें मेहनत और आत्मविश्वास का गुण अवश्य होना चाहिए। मनुष्य को अपना जीवन बिताने के लिए ईश्वर, माँ-बाप, भाई-बहन और गुरु के अतिरिक्त यदि किसी की जरुरत पड़ती है तो वह है सच्चा मित्र। सभी लोग मित्र नहीं हो सकते। वे केवल साथी और परिचित हो सकते है। हम सभी को एक अच्छे सहयोगी की जरुरत होती है, जिसके साथ हम अपने विचारों का आदान-प्रदान कर सकेँ और यह केवल सच्चे मित्र के साथ ही संभव है।

मेहनती और आत्मविश्वासी लोग न केवल अपना लक्ष्य बखूबी साधने में सफल रहते हैं। बल्कि वे अपने दोस्तों को भी मेहनत करने और अपना आत्मविश्वास बरकरार रखने में मदद करते हैं। इसलिए आपका मित्र मेहनती और आत्मविश्वासी अवश्य होना चाहिए। जो लोग अपने उद्देश्य, मकसद यानी लक्ष्य के प्रति सदैव समर्पित रहते हैं, कामयाबी भी उन्हीं के कदम चूमती है। इसलिए आपके दोस्त भी ऐसे होने चाहिए, जो अपने लक्ष्य के प्रति सतत सजग हों, तभी तो वे आपको लक्ष्य के प्रति अपेक्षित गंभीरता के महत्व को समझा सकेंगे।

और, जब आप अपने लक्ष्य के प्रति खुद को एकाग्र करेंगे तो आपके सारे रास्ते सरल होते जाएंगे और आप अपनी मंजिल को आसानी से हासिल कर सकेंगे।  एक अच्छा दोस्त भावनात्मक रूप से बुद्धिमान होता है। वह आपको इसलिए नहीं ठुकराता, क्योंकि लोग आपको अच्छा नहीं मानते या आपके बारे में आपके मित्रों को गलत राय देते हैं। बुरे समय में जब कोई आपके साथ नहीं होता, तब भी सच्चा मित्र आपका साथ नहीं छोड़ता।आपका अच्छा दोस्त आपसे थोड़े समय के लिए या टाइम-पास दोस्ती नहीं करता, बल्कि वह लंबे समय तक आपसे दोस्ती निभाता है। जब कभी आपको कोई बड़ी समस्या का सामना करना पड़ता है, तो वह हमेशा आपकी मदद के लिए तैयार रहते हैं। वह ऐसा शख्स होता है जब जरुरत पड़ने पर आपको सबसे पहले उसकी याद आती है। वह आपको निराश नहीं करता।आपका अच्छा दोस्त आपकी सफलता से कभी भी ईर्ष्या नहीं करते।उनको यह पता होता है कि उनके दोस्तों की सफलता उनके लिए सबसे बड़ी ख़ुशी है। वे जानते हैं कि आपकी सफलता आपकी मेहनत का नतीजा है। वे आपकी सफलता को दिल से मनाते हैं और इसे आपके साथ इंजॉय करते हैं।आपका एक सच्चा दोस्त आपसे कभी भी व्यर्थ की बहस शुरू नहीं करता। आप जैसे हो वैसे ही वह आपको अपना दोस्त मानता है और आपसे प्रतिद्वंदी की तरह व्यवहार नहीं करता। वह आपसे कभी भी ऐसी बहस नहीं शुरू करेगा, जिसमें आप कभी जीत नहीं सकते।चलिए आपको एक कहानी सुनाता हूँ।इस कहानी को आपने कई बार सुना तो होगा पर दिल से कभी नही लिया होगा ।

एक नगर में दो मित्र रहते थे। उनकी आपस में घनिष्ठ मित्रता था। एक दिन उन्होंने कुछ व्यापार करने के लिए सोचा। दोनों मित्रों ने अपने पास जो थोड़ा धन था, एकत्रित किया और दूसरे नगर की ओर चल पड़े। वे दोनों खुशी-खुशी जा रहे थे। दूसरे नगर का मार्ग एक जंगल से होकर जाता था। जब वे जंगल से गुजर रहे थे तो उन्होंने सामने एक भयानक शेर को आते देखा। शेर को सामने देखकर दोनों सहम गए। दोनों मित्र में से एक को पेड़ पर चढ़ना आता था परन्तु दूसरे मित्र को नहीं जिस मित्र को पेड़ पर चढ़ना आता था वह तुरन्त ही साथ वाले पेड़ पर चढ़ गया दूसरा मित्र बेचारा जमीन पर असहाय होकर रह गया। इतने में उसे एक युक्ति सूझी कि शेर मृत प्राणियों को नहीं खाता। वह सांस रोककर ज़मीन पर लेट गया।

इतने में शेर वहां आ गया। उसने ज़मीन पर लेटे मित्र के कान, नाक, मुंह इत्यादि को सुंघा, उसके शरीर को हिलाया डुलाया और मृत समझ कर उसे छोड़ कर चला गया। पेड़ पर चढ़ा हुआ मित्र यह सब देख रहा था। जब शेर काफी दूर चला गया तो वह पेड़ से नीचे उतर आया और दूसरा मित्र भी उठ कर खड़ा हो गया। पहले मित्र ने उससे पूछा कि शेर उसके कान में क्या कह रहा था। दूसरे ने झट से उत्तर दिया कि शेर ने उससे कहा कि स्वाथीं मित्र से बचो। यह सुनकर वह बहुत शर्मिन्दा हुआ।

विज्ञापन

विज्ञापन

यह हमारा दुर्भाग्य है कि बदलती परिस्थितियों, बदलते परिवेश और समय परिवर्तन के साथ मित्र की पहचान भी बदलती जा रही है। आज का युग भौतिकवादी और तुलनावादी है। हर इंसान इस युग में आगे निकल जाना चाहता है। आगे जाने के दौड़ में मानवीय गुणों को भूल जाता है ।यही कारण है कि वे अपने मित्रों से भी प्रतियोगिता और ईर्ष्या करता है। कभी कभी उसे नुकसान पहुँचाने की कोशिश करता है। सच्चे मित्र का चुनाव बड़ी सावधानी से करना चाहिए। अच्छी तरह से उसे परख कर उस गुणों का परिक्षण कर के सच्चे मित्र का चुनाव कीजिए क्योंकि वह आपके जीवन को सुखमय और मधुर बनाने में अपना बड़ा योगदान देते है।सच्चामित्र हमारे लिए प्रेरणा देने वाला, सहायक और मार्गदर्शक बनकर हमें जीवन की सही राह की ओर ले जाने वाला होता है। निराशा के क्षणों में सच्चा मित्र हमारी हिम्मत बढ़ाने वाला होता है। जब हम निरुत्साहित होते हैं तब वह हमारी हिम्मत बढ़ाता है। श्री कृष्ण और सुदामा की दोस्ती में कोई स्वार्थ नहीं था। सच्चा मित्र वही है जो मित्र दुख में काम आता आता है।

अच्छा मित्र कभी भी आपको बुरे कामों के लिए उत्साहित नहीं करेगा वो आपको ऐसे कामों से दूर रहने की सलाह देगा। इसीलिए मित्रता तो विश्वास सहयोग और दो लोगों के बीच प्यार की भावना का संगम होता है। मित्र बनाना कोई आसान काम नहीं होता इसके लिए मानव के अंदर कुछ अच्छी विशेषताएं अवश्य होनी चाहिए पहली यह के उसे अपने मित्र पर विश्वास रखना होगा दूसरी के एक मित्र को दुसरे मित्र पर छोटी -छोटी बात के लिए दोष नहीं निकालने चाहिए और दोस्ती तो दोनों में सामान होनी चाहिए।एक झूठा मित्र हमेशा आपके साथ स्वार्थ के लिए दोस्ती करेगा ऐसी मित्रता ज्यादा दिनों तक नहीं टिकती इसीलिए ऐसे मित्रों से दूर ही रहना चाहिए।

अपने शत्रु को हज़ारों मौके दो कि वो तुम्हारा मित्र बन जाये परन्तु आपके मित्र को एक भी ऐसा मौका ना दो के वो आपका शत्रु बन जाए।आज के समय में एक अच्छा दोस्त मिल पाना बहुत ही ज्यादा मुश्किल काम है आजकल ज्यादातर लोग अपना स्वार्थ निकालने के लिए दोस्ती का दुरुपयोग करते हैं और अपना स्वार्थ निकाल कर दूर भाग जाते है। जिससे वह मित्रता जैसे सुंदर रिश्ते को कलंकित कर देते है और दूसरों का भरोसा भी तोड़ देते हैं इसीलिए आज के समय में एक सच्चा मित्र ढूंढना बहुत मुश्किल काम है।जहां मित्रता आपके काम आ सकती है वहां धन कभी भी काम नहीं आ सकता। एक सच्चा मित्र कठिन हालातों में सदैव आपके साथ खड़ा रहता है किंतु एक बुरा और मतलबी मित्र मुश्किल समय में आपसे दूर भागने की कोशिश करेगा वह उस वक्त हजारों बहाने बनाएगा। एक सच्चे दोस्तों अपनी जिंदगी में हमेशा ही एक दूसरे से सुख और दुख सांझा जरूर करते हैं वह किसी भी बात को एक दूसरे से छुपाते नहीं। इसके अलावा सच्ची मित्रता में आप किसी को किसी काम के लिए मजबूर नहीं कर सकते। सच्ची मित्रता में आपका दोस्त आपको हमेशा उत्साहित करेगा वह आपका मनोबल बढ़ाने की कोशिश करेगा। इसलिए सच्ची मित्रता विश्वास और सहयोग की भावना का संगम होता है।

कुछ लोगों में जल्दी एकजुट होने की प्रवृत्ति होती है, लेकिन जैसे ही उनकी रुचियां पूरी हो जाती हैं, वे अपनी दोस्ती को तोड़ देते हैं। दोस्ती के बारे में कुछ बुरा कहना मुश्किल है लेकिन यह सच है कि लापरवाह व्यक्ति ही दोस्ती में धोखा खा जाता है। आज के दुनिया में, बुरे और अच्छे लोगों की भीड़ में सच्चे दोस्त मिलना बहुत मुश्किल है, लेकिन अगर किसी के पास सच्चे दोस्त हैं, तो उसके अलावा अन्य कोई भी भाग्यशाली और दुनिया में अनमोल नहीं है।एक सच्ची दोस्ती मानव और जानवरों के बीच भी हो सकती है। इसमें कोई शक नहीं है कि सबसे अच्छे दोस्त हमारी कठिनाइयों और जीवन के बुरे समय में मदद करते हैं। मित्र हमेशा हमें अपने खतरों में बचाने की कोशिश करते हैं और समय-समय पर सलाह प्रदान करते हैं सच्चे दोस्त हमारी ज़िंदगी की सर्वोत्तम संपत्ति की तरह हैं, क्योंकि वे हमारे दुख को साझा करते हैं और हमें खुश महसूस कराते हैं।संगत का असर हमारे जीवन में गहरा असर डालता है। एक अच्छी संगती ही व्यक्ति के चरित्र का निर्माण करती है। इसलिए हमें हमेशा ऐसे दोस्तों का चुनाव करना चाहिए जो हमारे चरित्र का सकारात्मक विकास करने में अपनी भूमिका निभाएं। गलत संगत में पड़कर हम अपने और अपने परिवार के लिए समस्या पैदा कर सकते हैं।भरोसा दोस्ती की बुनियाद होती है। आपकी उदासी के वक्त एक दोस्त आपकी मन की भावनाओं को आसानी से पढ़ सकता है। एक अच्छे दोस्त की यही पहचान होती है कि वह आपकी समस्या को समझे और उसे दूर करने का प्रयास करे।

एक प्राचीन विद्वान का वचन है- “विश्वासपात्र मित्र से बड़ी भारी रक्षा रहती है। जिसे ऎसा मित्र मिल जाये उसे समझना चाहिए कि खजाना मिल गया।” विश्वासपात्र मित्र जीवन की एक औषधि है। हमें अपने मित्रों से यह आशा रखनी चाहिए कि वे उत्तम संकल्पों मे हमें दृढ़ करेंगे, दोष और त्रुटियों से हमें बचायेगे, हमारे सत्य , पवित्रता और मर्यादा के प्रेम को पुष्ट करे, जब हम कुमार्ग पर पैर रखेंगे, तब वे हमें सचेत करेंगे, जब हम हतोत्साहित होंगे तब हमें उत्साहित करेंगे। सारांश यह है कि वे हमें उत्तमतापूर्वक जीवन निर्वाह करने में हर तरह से सहायता देंगे। सच्ची मित्रता से उत्तम से उत्तम वैद्य की-सी निपुण्ता और परख होती है, अच्छी से अच्छी माता का सा धैर्य और कोमतला होती है। ऎसी ही मित्रता करने का प्रयत्न पुरूष को करना चाहिए।

इंग्लैण्ड के एक विद्वान को युवावस्था में राज-दरबारियों में जगह नहीं मिली। इस पर जिन्दगी भर वह अपने भाग्य को सराहता रहा। बहुत से लोग तो इसे अपना बड़ा भारी दुर्भाग्य समझते, पर वह अच्छी तरह जानता था कि वहां वह बुरे लोगों की संगति में पड़ता जो उसकी आध्यात्मिक उन्नति में बाधक होते। बहुत से लोग ऎसे होते हैं जिनके घड़ी भर के साथ से भी बुद्धि भ्रष्ट हो जाती है; क्योंकि उतने ही बीच में ऎसी-ऎसी बातें कही जाती है जो कानों में न पड़नी चाहिए, चित्त पर ऎसे प्रभाव पड़ते है जिनसे उसकी पवित्रता का नाश होता है। बुराई अटल भाव धारण करके बैठती है। बुरी बातें हमारी धारणा में बहुत दिनों तक टिकती है। इस बात को प्राय: सभी लोग जानते है, कि भद्दे व फ़ूहड़ गीत जितनी जल्दी ध्यान पर चढ़ते हैं। उतनी जल्दी कोई गम्भीर या अच्छी बात नही एक बार एक मित्र ने मुझसे कहा कि उसने लड़कपन में कहीं से एक बुरी कहावत सुन पायी थी, जिसका ध्यान वह लाख चेष्टा करता है कि न आये, पर बार-बार आता है। जिन भावनाओं को हम दूर रखना चाहते हैं, जिन बातों को हम याद नहीं करना चाहते वे बार-बार ह्रदय में उठती हैं और बेधती है।

अत: आप पूरी चौकसी रखो, ऐसे लोगों को कभी साथी न बनाओ जो अश्लील, अपवित्र और फ़ूहड़ बातों से तुम्हें हंसाना चाहे। सावधान रहो ऐसा ना हो कि पहले-पहले तुम इसे एक बहुत सामान्य बात समझो और सोचो कि एक बार ऎसा हुआ, फ़िर ऐसा न होगा। अथवा तुम्हारे चरित्र-बल का ऎसा प्रभाव पड़ेगा कि ऐसी बातें बकने वाले आगे चलकर आप सुधर जायेंगे। नहीं, ऐसा नहीं होगा। जब एक बार मनुष्य अपना पैर कीचड़ में डाल देता है। तब फ़िर यह नहीं देखता कि वह कहां और कैसी जगह पैर रखता है। धीरे-धीरे उन बुरी बातों में अभयस्त होते-होते तुम्हारी घृणा कम हो जायेगी। पीछे तुम्हें उनसे चिढ़ न मालूम होगी; क्योंकि तुम यह सोचने लगोगे कि चिढ़्ने की बात ही क्या है। तुम्हारा विवेक कुण्ठित हो जायेगा और तुम्हें भले-बुरे की पहचान न रह जायेगी। अन्त में होते-होते तुम भी बुराई के भक्त बन जाओगे; अत: ह्रदय को उज्ज्वल और निष्कलंक रखने का सबसे अच्छा उपाय यही है कि बुरी संगत की छूत से बचो। अंत में मै तो बस यही कहूँगा है कि-

काजर की कोठरी में कैसो हूँ सयानो जाय,
एक लीक काजर की, लागिहै, पै लागिहै।
- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

- Sponsored -

आर्थिक सहयोग करे

Comments
Loading...