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प्राउटिष्ट सर्व समाज पार्टी ने देश के सामने रखा अपना सुझाव

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पटना/ आई एम ए हॉल पटना में प्रेस प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए प्राउटिष्ट सर्व समाज पार्टी के राष्ट्रीय जन सम्पर्क सचिव ई० विजय प्रभात ने कहा कि उनकी पार्टी ने भारत सरकार द्वारा पारित कृषि एवं कृषि उत्पाद संबंधी तीन (नए) कानून 2020 के कारण देश में विगत 3 महीने से चल रहे किसान आंदोलन के मद्दे नजर उनकी समस्याओं एवं मांगों के समाधान हेतु उच्चतम न्यायालय द्वारा गठित समिति को अपने सुझाव 12 फरवरी 2021 को भेज दिया हैं जिसकी घोषणा आज हम देश के समक्ष करना चाहते हैं। सुझाव प्रस्तुति की अंतिम तिथि 20 फरवरी 2021 थी।

ई० विजय प्रभात ने पी. एस. एस. पार्टी द्वारा प्रस्तुत सुझावों में निहित मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि भारतीय सभ्यता व संस्कृति विकेंद्रित ग्रामीण कृषि की नींव पर खड़ी है। देश की 65% आबादी का जीवन यापन कृषि पर निर्भर है। अतएव, देश में कृषि एवम् कृषक समस्याओं के संदर्भ में इन तीनों कानूनों की उपादेयता एवं उनके निश्चित परिणामों के गंभीर विश्लेषण की आवश्यकता है। इन कानूनों से देश के मँझले एवं छोटे जोत 40 करोड़ किसानों एवं 30 करोड़ कृषक मजदूरों की आजीविका निश्चित रूप से प्रभावित होगी। याद रहे ये सभी ही मिल कर देश की 85% अन्न आपूर्ति करते हैं, जब कि सरकारी नीतिओं के कारण किसानी घाटे का सौदा बन चुका है जिसके कारण 3 लाख कृषक आत्म हत्याएं कर चुके हैं। यदि 1977 के आंकड़ों को आधार बनाया जाए तो जहाँ अन्य सबों की आय औसतन 200 गुना बढ़ी, किसानों की आय मात्र 20 गुणा हीं बढ़ी है। विश्वव्यापी कोविड-19 महामारी में भी देश की अर्थ व्यवस्था को मात्र कृषक वर्ग ने ही बचा कर रखा है। ऐसे में पूंजीवादी व्यवस्था पर आस लगा बैठना देश के लिए अहितकर होगा, विशेष कर आज जब पूरे विश्व में वह आखिरी साँसे गिन रहा है।

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उन्होंने सुझावों में निहित बिंदुओं में आगे बताया कि प्रगतिशील उपयोग तत्त्व (प्रउत) अर्थ नीति के अनुसार कृषि को सम्पूर्ण उद्योग का दर्जा दे कर, न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) की जगह अन्य सभी उद्योगों की भांति कृषि उत्पादों का अधिकतम मूल्य (MRP) निर्धारण करने का वैधानिक अधिकार, प्रखण्ड अथवा जिला स्तर पर APMC (मण्डी) के बजाय स्थानीय किसान निकाय गठित कर उन्हें दे दी जानी चाहिए। देश भर छोटे व मँझले जोत के किसानों के लिए समन्वित कृषि योजना, पंचायत स्तर पर स्थानीय खाद्यान्न भंडारण की (विकेंद्रित) व्यवस्था; पंचायत, प्रखण्ड एवं जिला स्तर पर कृषक निकायों को कृषि संबंधी सारे संवैधानिक अधिकार; कृषक परिवार के युवकों के लिए कृषि, कृषि-सहायक तथा कृषि-आधारित उद्योग संरक्षित कर दी जानी चाहिए, कच्चे कृषि -उत्पाद को उपभोक्ता वस्तु बनाने के बाद ही उसका बाजारी-करण हो। छोटे व मँझले जोत के किसान परिवारों के लिए सुलभ छोटे-छोटे ब्याज मुक्त ऋण की व्यवस्था; शत प्रतिशत रोजगार सृजन हेतु सुझाव; भारत को आत्मनिर्भर बनाने हेतु गुणवत्ता के खाद्य वस्तु निर्यातक देश बनाने एवं देश-व्यापी ग्रामीण शहरी-करण के सुझाव भी दिए गए हैं।

ई० विजय प्रभात ने बताया कि देश व्यापी सुसंगठित कृषि निकाय संरचना एवं विकेन्द्रित औद्योगीकरण द्वारा प्रउत की संतुलित अर्थव्यवस्था की नीति के आधार पर राजनीति मुक्त, दल विहीन अर्थनैतिक लोकतंत्र का एक नया मॉडल बनाने का भी सुझाव दिया गया है जिससे भारत वर्ष में समृद्धि के एक नए युग का उदय होगा ।

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