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पूर्णिया विश्वविद्यालय शिक्षक संघ आन्दोलन के 44 वें दिन डॉ जवाहर ने संबोधित कर कुलपति पर साधा निशाना

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पूर्णिया/ शुक्रवार को पूर्णिया विश्वविद्यालय शिक्षक संघ के आन्दोलन के 44 वें दिन डिजिटल प्लेटफार्म पर फेसबुक लाइव के माध्यम से डॉ. जवाहर पासवान, अभिषद सह अधिसभा सदस्य, भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा ने शिक्षकों को संबोधित करते हुए कहा कि 18 मार्च 2018 को नवसृजित पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया प्रमंडल के सीमांचल वासियों की गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा प्राप्त करने की आकांक्षा को पूरा करने के लिए स्थापित किया गया बिहार सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, लेकिन बहुत कम समय में उद्देश्यों से भटकाव देखा जा रहा है । पूर्णिया विश्वविद्यालय को स्थापना के प्रथम वर्ष में ही 2 (f) सर्टिफिकेशन मिला, जो एक मात्र उपलब्धि है |

डॉ. जवाहर पासवान ने कहा कि विश्वविद्यालय की विधि व्यवस्था को ठीक करते हुए राज्य सरकार से आबंटित राशि का भुगतान करें और शिक्षकों, छात्रों और कर्मचारियों के संवैधानिक अधिकारों का हनन करने की मंशा को त्यागें। आपको अपनी गाढ़ी कमाई से कुछ नहीं देना है, बल्कि राज्य सरकार से निर्गत राशि ही देना है| आप पूर्णिया विश्वविद्यालय के भटके हुए अभिभावक है, जबकि यहां के छात्र, शिक्षक और कर्मचारी, सीमांचल की जनता आज भी आपको अपना बनाने को तैयार हैं, बशर्ते प्रताड़ना बंद करते हुए शिक्षकों को प्रोन्नति का लाभ, सेवा संपुष्टि, वेतन, पेंशन, एरियर और पारिश्रमिक का भुगतान अविलंब सुनिश्चित करें। अन्यथा भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के शिक्षकों, छात्रों और कर्मचारियों के सम्पूर्ण सहयोग से इस आंदोलन को उग्र रूप देने को वाध्य होंगे। इसलिए कुलपति महोदय आप अपनी कार्यप्रणाली में अपेक्षित बदलाव लाएं अन्यथा आपके काले कारनामों के विरुद्ध इतने प्राथमिकी होंगे कि आप संभाल नहीं पाएंगे। यही हाल रहेगा तो खुली जगह में घुमने के बाद भी एक व्यक्ति प्रणाम करने वाला नहीं होगा।

डॉ पासवान ने कहा गुणवत्तापूर्ण उच्च शिक्षा, रोजगार उन्मुख शिक्षा, विश्व की चुनौतियों के समक्ष सीमांचल के नौजवानों को तैयार करने की आकांक्षा से इस विश्वविद्यालय की स्थापना की गई। विश्वविद्यालय की स्थापना काल के आरंभिक क्षणों में पूर्णिया विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से जिस मिशन, विजन और रीजन की बात की गई, जिस बड़े स्तर पर सपने दिखाए गए तो सीमांचल के लोगों को एक उम्मीद बनी की यह विश्वविद्यालय भारत और बिहार के स्तरों पर अपनी पहचान बनाएगा लेकिन कुछ नहीं हुआ ।

विभिन्न पाठ्यक्रमों में नामांकन, पंजीयन, परीक्षा प्रपत्र भरने, परीक्षा फल का प्रकाशन आदि विभिन्न समस्याओं से जूझते हुए छात्रों और अभिभावकों को सभी ने देखा है। विश्वविद्यालय द्वारा संचालित विभिन्न परीक्षाओं एवं परीक्षा फलों की विसंगतियों को छात्रों ने शिद्दत से महसूस किया है । बिहार सरकार की स्पष्ट घोषणा के बावजूद पूर्णिया विश्वविद्यालय में अनुसूचित जाति एवं जनजाति तथा गर्ल्स स्टूडेंट्स के नामांकन आदि में शुल्क वसूला गया जिसे आज तक वापस नहीं किया जा सका है।

विश्वविद्यालय की प्रमुख समस्याओं पर चर्चा करते हुए डॉ पासवान ने कहा कि कुलपति पूर्णिया विश्वविद्यालय पूर्णिया कुलपति कार्यालय Contractual Help के नाम पर लगभग 10 से 15 व्यक्तियों को रखे हुए हैं | पूर्णिया विश्वविद्यालय के परीक्षा विभाग में भी तीन से चार लोग ऐसे हैं जो कुलपति के द्वारा रखे गए हैं | कुलपति कार्यालय बाहरी लोगों का गढ़ बना हुआ है कोई भी स्थाई कर्मचारी कुलपति कार्यालय में पदस्थापित नहीं है | केवल और केवल बाहरी जिसमें मुख्य रूप उत्तर प्रदेश से लाए हुए कुछ लोग हैं कुलपति कार्यालय और विश्वविद्यालय को चलाते हैं | आउटसोर्सिंग और संविदा के लिए पूर्णिया विश्वविद्यालय में कोई भी बजटीय प्रावधान बिहार सरकार से प्राप्त नहीं है |

गौरतलब है कि शिक्षा विभाग बिहार सरकार के पत्रांक 15/ एम 1-09 / 2019 – 1960 दिनांक 02.09.2019 में स्पष्ट वर्णित है कि पूर्णिया विश्वविद्यालय में अभी तक स्नातकोत्तर विभागों की स्वीकृति एवं विभागों में पद सृजन बिहार सरकार से नहीं हुआ है | पूर्णिया विश्वविद्यालय द्वारा 2018 में ही अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए विज्ञापन दिया गया जिसमें केवल स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त अभ्यर्थियों से भी आवेदन आमंत्रित किए गए | अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति के लिए बनाई गई विभिन्न साक्षात्कार पैनल बनाने घोर अनियमितता की गई है | अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति में आरक्षण रोस्टर नियमों का पालन नहीं किया गया है | अतिथि शिक्षकों के पदस्थापन में अधिकांश अतिथि शिक्षकों को पूर्णिया विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों में रखा गया | बिना पद के ही अतिथि शिक्षकों को पदस्थापित किया गया है | पूर्णिया विश्वविद्यालय में कुलपति ने नियम बनाया है कि जो भी अतिथि शिक्षक 25 पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन जमा करेंगे उन्हें ₹25000 अधिकतम वेतन दे दिया जाएगा और यही किया भी जा रहा है | यह लोक धन का दुरुपयोग है |

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राजभवन, पटना के पत्रांक BSU (Regulation) 05/2010-2196 / (GS) I दिनांक 19.07.2019 के के अनुसार दो महत्वपूर्ण आपत्तियां दर्ज की गई थी – प्रथम पूर्णिया विश्वविद्यालय की परीक्षा परिषद ने बिना अधिकार पीएच.डी. पाठ्यक्रम नामांकन के लिए सीटों का निर्धारण कर दिया और दूसरा – पीआरटी के पैटर्न में भी परिवर्तन कर दिया था | राजभवन के पत्र से निर्देशित किया गया था की पूर्णिया विश्वविद्यालय राजभवन पीएच.डी. अधिनियम 2017 के आलोक में प्रस्ताव बनाएं और स्वीकृति प्राप्त करें | लेकिन 19.07.2019 को प्रस्ताव खारिज होने के बावजूद बिना पीएच.डी. नामांकन के विज्ञापन में परिवर्तन किए 21.7.2019 को पीएच.डी. नामांकन परीक्षा (PRT) आयोजित किया गया जो यह बताने में स्वतः सक्षम है की पूर्णिया विश्वविद्यालय के वर्तमान प्रशासन ने महामहिम कुलाधिपति कार्यालय के आदेशों की खुली अवहेलना की है और उनके अधिकार क्षेत्र में दखल दिया है |

उन्होंने कहा पूर्णिया विश्वविद्यालय के कुलपति राजेश सिंह नियुक्ति के कुछ ही महीने बाद से वित्तीय घोटाले में लिप्त हो गये। इनके द्वारा की गई कुछ वित्तीय अनियमितताओं का उल्लेख निम्नलिखित है :-

राज्य सरकार के HRD विभाग द्वारा 06/10/2018 को स्वीकृत एवं प्रदत्त 2 करोड़ की राशि में से 23 लाख रूपये माननीय मुख्यमंत्री के आगमन के अवसर पर सिर्फ समाचार एवं souvenir प्रकाशन पर ख़र्च कर दिये गये।

कुलपति के आवास को सुसज्जित करने के लिये लाखों रूपये ख़र्च किये गये, जबकि समकालीन एवं प्रथम प्रतिकुलपति, प्रो. प्रभात कुमार सिंह किराये के मकान में रहते थे एवं विश्वविद्यालय द्वारा एक कुर्सी भी उनको उपलब्ध नहीं करायी गयी थी। कुलपति के किराए के आवास को सुसज्जित करने के लिए बनाई गई क्रय समिति बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम 1976 के प्रावधानों के विपरीत है । बिहार विश्वविद्यालय अधिनियम में कुलपति के आवास का प्रावधान है लेकिन किराए के भवन में सरकारी धन का उपयोग करना वर्जित है फिर भी कुलपति ने लाखों रुपए खर्च कर एक निजी घर को सुसज्जित किया |

दिनांक १४/०६/२०१८ को पूर्णियाँ विश्वविद्यालय ने निर्णय लिया कि इसके अधीनस्थ सभी महाविद्यालय १० लाख की राशि अपने आन्तरिक स्रोत से विश्वविद्यालय A/C No. 36702892035 में हस्तांतरित करेंगे। इस राशि को महाविद्यालयों को आजतक वापस नहीं की गयी है।

डॉ जवाहर पासवान ने कहा कि कुलपति महोदय आज भी विश्वविद्यालय की विधि व्यवस्था को ठीक कर, विश्वविद्यालय अनुदान आयोग और राज्य सरकार द्वारा शिक्षकों को दिये गए अधिकार को देकर हमारे सरताज बन सकते हैं। बी एन एम यू मधेपुरा से प्रोन्नति प्राप्त शिक्षक सप्तम वेतन आयोग का सम्पूर्ण लाभ ले रहे हैं और पूर्णिया विश्वविद्यालय के शिक्षकों को उसका लाभ नहीं दिया जा रहा है, यह कहां का न्याय है ? पूर्णिया विश्वविद्यालय किसी की रियासत नहीं है। भारत एक स्वतंत्र देश है। यह संविधान और क़ानून से चलता हूं। विश्वविद्यालय अधिनियम हमारा संविधान है। उसे दरकिनार कर विश्वविद्यालय नहीं चलाया जा सकता है। आज पूर्णिया विश्वविद्यालय के छात्र छात्राएं कराह रही है, शिक्षक कर्मचारी घुटन महसूस कर रहे हैं। इसलिए इतिहास आपको कभी माफ नहीं करेगा। अभी भी वक्त है संभलने का। आप सचेत हों जाय। अभी भी विश्वविद्यालय परिवार के सभी लंबित कार्यों को यथाशीघ्र निबटा कर स्वंय को इतिहास में काले अक्षरों में नाम लिखाने से बच सकते हैं। समस्याओं को गिनाने में बहुत वक्त लगेगा, बेहतर है कि कुलपति वहां के शिक्षक संघ से वार्ता कर समस्याओं का समाधान करें और आन्दोलन को समाप्त कराएं, अन्यथा कोरोना काल के दुरुह समय से निकलते ही सम्पूर्ण BNMU परिवार अपने पूर्णिया विश्वविद्यालय परिवार के साथ आन्दोलन के मैदान में सदेह उपस्थित होंगे। फिर जो होगा, आपको उसका अंदाजा भी नहीं होगा। माली वही अच्छा है जिसकी बगिया में सभी फूल खिले हों। आपके पास अच्छा माली साबित होने का अधिक वक्त नहीं है, इसलिए जल्दी करें। सत्य को हवा उड़ा नहीं सकती और न ही पानी डुबा सकता है। शिक्षक हमेशा सत्य के रूप संघर्ष करता है। इसलिए जीत शिक्षक संघ की होगी। आप आश्वस्त रहें।

भारतीय लोकतंत्र की विशेषता है कि जिम्मेदार पदों पर कार्य करने वालोें की अनियमितता की जांच उनके कार्यकाल की समाप्ति के बाद भी होती है। शिक्षक अपना संवैधानिक अधिकार मांग रहे हैं, जिसे आप चन्द मिनटों में निदान कर सकते हैं, इसलिए शिक्षक संघ से बातचीत कर अविलंब आन्दोलन समाप्त करावें। यह सीमांचल के छात्र छात्राओं और शिक्षक कर्मचारी के संग आपके हित में भी है।

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