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पुणे में बेटियों को बचाने और पढ़ाने के मुद्दे पर राष्ट्रीय संगोष्ठी

बेटियों के संघर्ष पर लिखी ज्योति झा की पुस्तक "आनंदी" का लोकार्पण लड़कियों के बीच स्कूल बैग का वितरण

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प्रतिनिधि@पुणे,महाराष्ट्र
कन्या भ्रूण हत्या दुनिया के सबसे बड़े ‘नरसंहारों’ में से एक है। हम निष्क्रिय रूप से नहीं बैठ सकते हैं और लड़कियों को इस तरह से मरने और उनके साथ भेदभाव होता नहीं देख सकते। लड़कियों को बचाने के लिए, समाज को बचाने के लिए, दुनिया के भविष्य को बचाने के लिए, सभी को स्वेच्छा से ‘बेटी बचाओ जन आंदोलन’ में भाग लेना चाहिए और कन्या भ्रूण हत्या को रोकने के लिए माता-पिता को समझाना चाहिए। यह बात सावित्रीबाई फुले शैक्षणिक सेवा फाउंडेशन पुणे की ओर से छत्रपति शिवाजी महाराज महात्मा फूले और बाबासाहेब आंबेडकर की याद में वडगांव स्थित राजेंद्र नगर में आयोजित एक समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित बेटी बचाओ आंदोलन के प्रणेता डॉक्टर गणेश राख ने कही। डॉक्टर राख ने कहा कि बच्चे का लिंग मालूम करना एक अपराध है डॉक्टरों पर कानूनी तरीके से नकेल कसना मुश्किल है क्योंकि उनके पास नवीनतम तकनीक उपलब्ध है इसलिए डॉक्टरों को भी नैतिक रूप से जगना होगा। और यह आम जनता के जगने से ही संभव है।
डा राख द्वारा दस साल पहले शुरू किए गए ‘बेटी बचाओ जन आंदोलन’ से देश-विदेश से करीब 2 लाख से अधिक निजी डॉक्टर, 12 हजार एनजीओ और 1.75 मिलियन स्वयंसेवक जुड़ चुके हैं और लड़कियों को बचाने के उनके प्रयासों में योगदान दे रहे हैं।

महिलाओं की विभिन्न समस्याओं को लेकर जागृति कार्य में सक्रिय सावित्री बाई फुले शैक्षणिक सेवा फाउंडेशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में चर्चित युवा लेखिका ज्योति झा की पुस्तक “आनंदी” का लोकार्पण किया गया। इस पुस्तक में लड़कियों की समस्या और कामयाबी के लिए उनके संघर्षों की कहानी कही गई है। इस मौके पर लड़कियों को स्कूल बैग और कॉपियां दी गई। नगर सेवक योगेश मुलिक ने अतिथियों स्वागत करने के दौरान बेटियों को बचाने के अभियान में अपने हर तरह के सहयोग देने का आश्वासन दिया।
कविता पाठ सुवर्णलता जमदाडे और इंदुमती दराडे ने किया।
समारोह में शामिल सभी महिलाओं ने हाथ उठा कर बेटियों को बचाने और पढ़ाने के लिए आगे बढ़ कर काम करने का संकल्प उजागर किया। प्रसून लतांत और सचिन नरे ने कार्यक्रम का संचालन किया।

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समारोह के प्रारंभ में फाउंडेशन की सचिव हेमलता महस्के ने कहा कि हमारे समाज में लड़कियों के लिए समस्याएं आज भी कम नहीं है। वे आज भी जन्म से पहले और जन्म के बाद भी मारी जाती हैं। लड़के के मुकाबले लड़कियों की संख्या आज भी बराबर नहीं हो पा रही है। लड़का लड़की में भेदभाव हमारे जीवन मूल्यों की भयंकर खामियों को दर्शाता है। उन्नत कहलाने वाले राज्यों में ही नहीं बल्कि प्रगतिशील समाजों में भी लिंगानुपात की स्थिति चिंताजनक है। देश के कुछ समृद्ध राज्यों में आज भी बालिका भ्रूण हत्या की जा रही है। लिंग आधारित भेदभाव की बुनियाद पर खड़े समाज में जन्म लेना आज किसी भी लड़की के लिए सबसे कठोर सजा होती है। यही भेदभाव जब चरम पर पहुंचता है तो कहीं नवजात बेटी की हत्या और कहीं भ्रूण हत्या का रूप ले लेता है।
अपने अध्यक्षीय भाषण में चर्चित लेखिका ज्योति झा ने कहा कि कन्या भ्रूण हत्या के लिए केवल मां बाप ही जिम्मेदार नहीं हैं। इसके पीछे समाज की वे मान्यताएं भी ज्यादा जिम्मेदार हैं जो लड़का लड़की के बीच भेदभाव को ज्यादा महत्व देते हैं । हमें समझना होगा कि लड़की भी इंसान है और वह भी वह सब कुछ कर सकती है जो लड़के करके दिखाते आए हैं । ज्योति झा ने लड़के लड़कियों के भेदभाव को दूर करने के लिए लड़कियों को पढ़ाने और आर्थिक रूप से आत्मनिर्भर बनाने के अभियानों को और गतिशील बनाने की जरूरत पर जोर दिया। विशिष्ट अतिथि और बेटी बचाओ जन आंदोलन के संयोजक डॉ लालासाहेब गायकवाड़ ने बेटी बचाने के लिए देश भर में अभियान चलाने की जरूरत पर जोर दिया। वहीं दूसरे विशिष्ट अतिथि और वरिष्ठ कवि शंभूनाथ मिस्त्री ने भारत में नारी शक्ति के महत्व को स्पष्ट किया ।एक अन्य विशिष्ट अतिथि और कवियत्री दोलन राय ने चिंता जाहिर की वह समाज कैसा होगा जब मां नहीं होगी, बेटी नहीं होगी, बहन नहीं होगी, बहू नहीं होगी। इस तरह तो सृष्टि ही रुक जाएगी। उन्होंने बेटी को बचाने और बढ़ाने के लिए राष्ट्रव्यापी आंदोलन की जरूरत बताई। दिल्ली से आए वरिष्ठ पत्रकार और समाज कर्मी प्रसून लतांत ने कहा बेटियों को बचाने और उनको पढ़ाने का आयोजन पुणे में होने का मतलब ज्यादा महत्वपूर्ण है क्योंकि पुणे ही ऐसी जगह है जहां सावित्रीबाई फुले ने बेटियों को पढ़ाने के लिए देश में सबसे पहले स्कूल खोला और अब बेटियों को बचाने के अभियान की शुरुआत भी डॉ गणेश राख के नेतृत्व में पुणे से शुरू हुई है। उन्होंने कहा कि अगर बेटियों को बचाने के लिए हम आगे नहीं आयेंगे तो महिलाओं पर अत्याचार बढ़ जाएगा और कई तरह की सामाजिक समस्याएं उत्पन्न हो जाएंगी।

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