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मधेपुरा:शंकरपुर में कच्चे माल की भंडारण सुविधा नही,माल बेचने में बिचोलिया के हाथों शोषण का शिकार

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**जिला स्तर पर नही है अनाज और सब्जी मंडी
**समय समय पर कृषि एक्सपर्ट से होनी चाहिए फसलो की जांच
**सरकार के निर्धारित मूल्य के बाद भी नही मिलती है खाद बीज

निरंजन कुमार

कोसी टाइम्स@शंकरपुर,मधेपुरा

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प्रखंड क्षेत्र के उपजाऊ भूमि भूगोलिक दृष्टिकोण से कृषि के उपयुक्त माना जाता है लेकिन सरकारी उपेक्षा के कारण उपजे फसल की अच्छी कीमत नही मिलने के कारण किसान फसल उपजाने के बाद भी अपने आप को ठगी महसूस करते है प्रखंड क्षेत्र में बहुतायाद तोर पर रबी व खरीफ
फसल के साथ साथ किराने की खेती की जाती है लेकिन लोकल मंडी ओर कोल्ड स्टोरेज की सुविधा नही रहने के कारण किसान को अपने खेत मे तैयार कच्चे माल की भंडारण करना मुश्किल है।

भारी पैमाने पर होती है किराने ओर आलू की खेती 
मालूम हो कि प्रखंड क्षेत्र के गिद्धा पंचायत,सोनवर्षा ओर रामपुर लाही पंचायत सहित अन्य पंचायत में आलू के साथ साथ गोभी,मिर्च सहित अन्य किराने की खेती भारी पैमाने पर किया जाता है किसान किराने की खेती अच्छी आमदनी होने की उम्मीद तो देखते है लेकिन लोकल स्तर पर मंडी ओर कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था नही रहने के कारण किसान को खेत मे तैयार माल को थोक में बेचने के लिए या तो छोटे छोटे व्यपारियो का सहारा लेना पड़ता है या दूसरे शहर ले जाकर तैयार माल बेचना पड़ता है जिससे कृषक को तैयार माल बेचने में बिचोलिया के हाथों शोषण का शिकार होना पड़ता है
किसान होते है ठगी के शिकार
किसान शिव शंकर मेहता,रघुवीर मेहता,जयकुमार मेहता,दीपनारायण मेहता,शम्भू मेहता,बीरेंद्र मेहता,जयकुमार मेहता सहित अन्य किसानों ने बताया कि इस क्षेत्र की मौसमी फसल के अलावे किराने की खेती के लिए उपयुक्त है लेकिन सरकारी स्तर पर निर्धारित फसल का मूल्य किसानों को मिलने के बजाय बेचोलिया के हाथों चले जाते है साथ ही किसान सामानों की मूल्य निर्धारित नही ओर जिले स्तर पर भी सब्जी मंडी ओर अनाज मंडी नही होने के कारण किसान को अपने तैयार माल बेचने के लिए बेचोलिया का सहारा लेना पड़ता है साथ ही कृषि वैज्ञानिक व कर्मी के द्वारा समय समय पर कृषको के बीच फसल लगाने के विधि ओर फसल में उपयोग किये जाने वाले सामग्री की जानकारी स्थानीय स्तर पर नही दिए जाने के कारण किसान खाद बीज दुकानदारो के भरोसे ही अपनी खेती कर पाते है जिससे किसान कम लागत में अच्छी फसल उगाने के बजाय ज्यादा लागत में भी ठगी के शिकार हो जाते है इस मौषम में किराने के रूप में लगभग 50 एकर में मिर्च की खेती किसानों के खेत मे लगी हुई है लेकिन किसान को तैयार मिर्च को बेचने के लिए या तो व्यपारियो का सहारा लेना पड़ता है या खुद दरभंगा,मुजफ्फरपुर,पटना,दानापुर या परोशी प्रदेश यूपी का रुख करना पड़ता है जिससे अधिक लागत लगाकर कम आमदनी में ही संतोष करना पड़ता है।

सरकार के किसानों की हितेषी होने का दावा विफल
सरकार किसानों की हितैसी होने का तो दावा करती है लेकिन प्रखंड से लेकर जिले तक मे एक भी कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था नही होने और एक भी सब्जी मंडी या अनाज मंडी की व्यवस्था नही है जिस बजह से किसान खेत से तैयार माल बेचने के लिए अन्य सहर का रुख करते है साथ ही किसानों को खेती करने के तोड़ तरीके और फसलों में लगने वाले विभिन्न प्रकार के रोग से फसल को बचाने के लिए कृषि एक्सपर्ट की मदद नही मिलने से किसान दुकानदारो के ही बताये दवाई व साधन का सहारा लेना पड़ता है जिससे किसान को आर्थिक शोषण का शिकार भी होना पड़ता है
किसानों को नही मिलती है समुचित अनुदान राशि
पिछले कुछ समय से मौषम किसान के लिए कहर बनकर टूट पड़ते है जिससे किसानों के खेत मे लहलहाते फसल बर्बाद हो जाते है जिसके लिए सरकार समय समय पर फसल क्षति मुआवजा व अनुदान राशि देने की घोषणा कर देते है लेकिन स्थानीय स्तर पर अधिकारियों के उदासीनता के कारण वह लाभ किसान को नही मिल पाती है

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