Kosi Times
तेज खबर ... तेज असर

ये हमारा Archieve है। यहाँ आपको केवल पुरानी खबरें मिलेंगी। नए खबरों को पढ़ने के लिए www.kositimes.com पर जाएँ।

- sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

मधेपुरा : डाॅ. रवि के निधन से छाई शोक की लहर

- Sponsored -

मधेपुरा/ राज्यसभा एवं लोकसभा के पूर्व सांसद तथा बी. एन. मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा के संस्थापक कुलपति प्रोफेसर डॉ. रमेन्द्र कुमार यादव रवि का शुक्रवार को पटना में निधन हो गया। वे 78 वर्ष के थे। वे अपने पीछे पत्नी डाॅ. मीरा कुमारी, तीन पुत्र (डाॅ. रतनदीप, डाॅ. चंद्रदीप, डाॅ. अमरदीप) एवं एक पुत्री डाॅ. मधुनंदा सहित भरापूरा परिवार छोड़ गए हैं।

डाॅ. रवि का जन्म 3 जनवरी, 1943 को चतरा (मधेपुरा) में हुआ था। उन्होंने पटना विश्वविद्यालय, पटना से पीएच. डी. की उपाधि प्राप्त की थी। वे शिक्षा-जगत के अलावा विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और सामाजिक-सांस्कृतिक संगठनों में भी सक्रिय रहे।

डाॅ. रवि के निधन से पूरे बिहार में शोक की लहर दौड़ गई है और पूरा विश्वविद्यालय परिवार मर्माहत है।कुलपति सहित कई पदाधिकारियों, शिक्षकों, शोधार्थियों एवं कर्मचारियों ने इस पर गहरा शोक व्यक्त किया है। सबों ने ईश्वर से प्रार्थना की है कि वे डाॅ. रवि की आत्मा को शांति प्रदान करें और उनके परिजनों, शिष्यों, मित्रों एवं शुभचिंतकों को इस अपार दुख को सहने की क्षमता दे।

बीएनएमयू, मधेपुरा के कुलपति प्रोफेसर डॉ. राम किशोर प्रसाद रमण ने बताया कि डाॅ. रवि एक सुप्रसिद्ध साहित्यकार, शिक्षाविद् एवं राजनेता थे। उनके निधन से पूरे बिहार और विशेषकर कोसी-सीमांचल को अपूर्णीय क्षति हुई है। हमारी इस धरती ने अपना एक सच्चा सपूत खो दिया है। इनके निधन से जो शून्यता पैदा हुई है, उसे भरना मुश्किल है।

उन्होंने बताया कि वे 1981-89 तक बिहार विधानसभा के सदस्य रहे।एक बार मधेपुरा लोकसभा से लगभग साढ़े तीन लाख मतों से विजयी हुए और दो बार राज्यसभा के सदस्य भी रहे। इसके अलावा वे बिहार विधानमंडल एवं भारतीय संसद की विभिन्न समितियों के भी सदस्य रहे।

विज्ञापन

विज्ञापन

उन्होंने बताया कि डाॅ. रवि ठाकुर प्रसाद महाविद्यालय, मधेपुरा के शिक्षक एवं प्रधानाचार्य भी रहे थे। यहाँ प्रधानाचार्य के पद पर रहते हुए ही उन्हें जनवरी 1992 में बीएनएमयू के प्रथम कुलपति की जिम्मेदारी मिली थी। कुलपति के रूप में मात्र 6 माह में उन्होंने विश्वविद्यालय के विकास की रूपरेखा तैयार कर दी और कोसी प्रोजेक्ट से पुराना कैम्पस भी प्राप्त कर लिया। वे जिस किसी भी पद पर गए वहाँ उन्होंने अपनी विद्वता की अमिट छाप छोड़ी।

प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ. आभा सिंह ने कहा कि डाॅ. रवि के निधन से विश्वविद्यालय ने अपना एक मार्गदर्शक एवं अभिभावक खो दिया है। उन्होंने बताया कि डाॅ. रवि शैक्षणिक एवं राजनीतिक क्षेत्र के साथ-साथ विभिन्न सामाजिक, साहित्यिक एवं सांस्कृतिक संगठनों में भी कई महत्वपूर्ण जिम्मेदारियों का निर्वहन किया। वे बुद्धिजीवी विचार मंच के अध्यक्ष, राष्ट्र भाषा परिषद् के सदस्य, बिहार मैथिली अकादमी के सदस्य, सदस्य, राज्य भाषा समिति के सदस्य एवं हिन्दी साहित्य सम्मेलन, मधेपुरा के अध्यक्ष रहे।

पूर्व प्रभारी कुलपति प्रोफेसर डाॅ. ज्ञानंजय द्विवेदी ने कहा कि डाॅ. रवि हिंदी साहित्य के साथ-साथ दर्शनशास्त्र के भी मर्मज्ञ थे। उन्होंने भारतीय दर्शन एवं सांस्कृति के आदर्शों को अपने जीवन में आत्मसात कर लिया था।

जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने बताया कि गत वर्ष बीएनएमयू संवाद यू-ट्यूब चैनल पर डाॅ. रवि के कई व्याख्यानों का आयोजन किया गया था। उन्होंने कई पुस्तकों की रचना की है। इनमें परिवाद, आपातकाल क्यों, लोग बोलते हैं, बातें तेरी कलम मेरी, बढ़ने दो देश को आदि प्रमुख हैं।

कुलपति के निजी सहायक शंभु नारायण यादव ने बताया कि डाॅ. रवि इंदिरा गाँधी, विश्वनाथ प्रताप सिंह, देवीलाल, शरद यादव, लालू यादव, नीतीश कुमार आदि के अत्यंत करीबी थे। उन्होंने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत कांग्रेस पार्टी से की थी और इसी पार्टी से पहली बार 1977 में मधेपुरा लोकसभा से चुनाव लड़ा था। इसमें वे कम वोटों से असफल हो गए थे। बाद में वे जनता दल के प्रत्याशी के रूप में रिकार्ड मतों से विजयी हुए। वे राजद संसदीय बोर्ड के अध्यक्ष भी रहे।

कुलसचिव डाॅ. कपिलदेव प्रसाद ने बताया कि विश्वविद्यालय द्वारा डाॅ. रवि के सम्मान में एक शोकसभा का आयोजन किया जाएगा।

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

- Sponsored -

आर्थिक सहयोग करे

Comments
Loading...