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मधेपुरा: बाबा विशु राउत मंदिर के पट एवं दुकान को चौसा प्रशासन ने कराया बंद

निराश होकर लौटे श्रद्धालु,कोरोना संक्रमण को लेकर उठाया ठोस कदम,

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कोसी टाइम्स ब्यूरो@मधेपुरा

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चौसा प्रखंड अंतर्गत लौआलगान पचरासी स्थल स्थित लोक देवता बाबा विशु राउत मंदिर एवं दुकानों को आज शुक्रवार को चौसा प्रशासन ने बंद करा दिया है। मंदिर के बंद होने से श्रद्धालु बैरंग वापस लौटे जिनमें निराशा देखी गई। दुग्धाभिषेक के लिए श्रद्धालुओं की लगातार भीड़-भाड़ बढ़ती चली जा रही थी। लोगों के भीड़ को देखते हुए चौसा प्रशासन पूरी तरह से चुस्त दुरुस्त दिखी। लोगों ने अहले सुबह से ही बाबा विशु राउत के जय घोष करते हुए बाबा को दूध व गंजा का प्रसाद चढावा करने पहुंचा। लेकिन पहले से ही चौसा अंचल अधिकारी राकेश कुमार सिंह,सहायक अवर निरीक्षक आलोक कुमार अमल मंदिर परिसर में दल बल के साथ मौजूद थे।ध्वनि विस्तारक यन्त्र से लगातार मंदिर बन्द होने की घोषणा की जा रही थी। स्थानीय लोगों का कहना है की सुबह में तो काफी दुकान दार अपने-अपने दुकान को सजा लिए थे। लेकिन प्रशासन के द्वारा सभी दुकान को बन्द करवा दिया गया एवं मंदिर परिसर में घूम रहे लोगों को मास्क पहनने का निर्देश दिया गया।प्रशासन के तल्ख तेवर को देखते हुए दूर दूर से दुद्धाभिषेक करने आये श्रद्धालु मंदिर के बाहर ही पूजा कर वापस होते दिखे।


अंचल अधिकारी राकेश कुमार सिंह ने बताया कि 30 अप्रैल तक सार्वजनिक प्रतिष्ठानों को पूरी तरह से बंद रखा गया है कोई भी श्रद्धालु मंदिर परिसर में पूजा अर्चना नहीं कर सकते हैं उन्होंने आम लोगों से निवेदन करते हुए कहा कि करुणा संक्रमण का दौर चल रहा है सभी लोग सरकार के गाइडलाइंस का पालन करें और सुरक्षित रहे।मौके पर अंचल अधिकारी राकेश कुमार सिंह,सहायक अवर निरीक्षक आलोक कुमार अमल, कैलाश यादव ,मुखिया संतोष साह, मनोज भाटिया समेत बाबा विशु राउत मेला समिति के अन्य सदस्य मौजूद थे।
मालूम हो कि लोक देवता बाबा विशु राउत मंदिर के पचरासी स्थल पर राज्य सरकार द्वारा चार दिवसीय राजकीय मेले का आयोजन 13 अप्रैल से किया जाता है लेकिन कोरोना संक्रमण को देखते हुए इस बार राज सरकार ने राजकीय मेला पर प्रतिबंध लगा दिया है। बावजूद इसके बाबा की समाधि पर श्रद्धालुओं ने दूध अभिषेक करने के लिए भागलपुर, खगाड़िया, सहरसा, सुपौल, अररिया, किशनगंज, पूर्णिया, कटिहार समेत विभिन्न क्षेत्रों से आये सैकड़ों श्रद्धालू शुक्रवार को बेरागन की वजह से आ रहे थे लेकिन प्रशासन के सामने उनकी एक भी नही चली औऱ वे बैरंग वापस लौटने को मजबूर हो गए।

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