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कटिहार: लॉकडाउन से राखी और मिठाई का व्यवसाय संकट में

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कटिहार/कोरोना महामारी का कहर लगातार जारी है। ऐसे में लोगों की सामाजिक व आर्थिक गतिविधियां पूरी तरह ठप हो गई हैं। महामारी का असर हमारे पर्व त्योहारों व पौराणिक परम्पराओं पर भी पड़ा है। मार्च के बाद पड़ने वाले अमूमन सभी त्योहार या तो नहीं मनाए गए या फिर लोग घर की चहारदीवारी के अंदर ही मनाने को मजबूर दिखे। कोरोना महामारी ने एक तरह से त्योहारों की भव्यता व रौनकता पर ग्रहण लगा दिया है।

क्षेत्र में कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ने से दहशत के बीच लॉकडाउन में सन्नाटा छाया रहा। वहीं 16 अगस्त तक घोषित लॉकडाउन से प्रभावित छोटे राखी व्यवसाई एवं होटल मालिक काफी हताश नजर आ रहे हैं। दोपहर 12 बजे के बाद सड़के सुनसान नजर आई। बता दें कि जिले में भी कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों की लगातार बढ़ती संख्या से कटिहारवासी भी दहशत में आ गए हैं। बार-बार प्रशासनिक अपील के बाद अब लोग लॉकडाउन के दिशा निर्देशों का पालन करते नजर आ रहे हैं।

इधर लॉकडाउन के कारण व्यवसायिक प्रतिष्ठान रहने से छोटे व्यवसाई काफी परेशान है। राखी पर्व पर जमा पूंजी से राखी खरीद कर आर्थिक लाभ की मंशा रखने वाले छोटे व्यवसायियों ने कलेक्टर से गुहार लगाई है कि उन्हें रक्षाबंधन तक राखी बेचने की अनुमति दी जाए। वहीं होटल बंद रहने से होटल व्यवसायी भी परेशान नजर आ रहे हैं। कल सोमवार को रक्षाबंधन का त्याेहार है लेकिन कोरोना के कारण इस बार राखी का बाजार गुलजार नहीं है।

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जिले के फलका प्रखंड की उपप्रमुख दीपशिखा सिंह ने कोसी टाइम्स को बताया कि हर वर्ष उसे रक्षाबन्धन का शिद्दत से इंतजार होता है। राखी के दिन हर वर्ष अपने मायके जाकर भाइयों को राखी बांधती थी। लेकिन इस बार महामारी के कारण जाना संभव नहीं दिख रहा। ऐसे में वह पहली बार इस साल ई-राखी का विकल्प आजमाएंगी।

बीए की छात्रा पूजा कुमारी बताती है कि ऑनलाइन विभिन्न तरह के आकर्षक राखियों का विकल्प मौजूद हैं। लॉकडाउन के कारण राखी का बाजार चौपट हो गया है। रक्षाबंधन को लेकर बाजार में इस वर्ष न उत्साह है न बाजार में राखी की डिमांड है।

कारोबारी विनय कुमार ने बताया कि खरीदारों के अभाव में स्टॉक निकलना मुश्किल है। हर साल इससे अच्छा मुनाफा हो जाता था। लेकिन इस बार कोरोना के कहर ने पूरा व्यवसाय को लील लिया है। हर वर्ष इस व्यवसाय में हजारों लोगों को रोजगार मिलता था।

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