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पप्पू के गिरफ्तारी की इनसाईड स्टोरी : दोस्तों का मामूली झगड़ा बना सरकार का हथियार ! 32 साल पुराने मामले का पोस्टमार्टम।

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मधेपुरा/ कोरोना काल में सरकार और सिस्टम को चुनौती देने वाले जाप सुप्रीमों पप्पू यादव को आखिरकार 32 साल पुराने मामले में मंगलवार को पुलिस ने गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। उनकी गिरफ्तारी की चर्चा देश भर में हो रही है और सरकार पर लोग जमकर हमला बोला रहे है। 32 वर्ष पूर्व के एक कथित अपहरण के मामले में पप्पू यादव को गिरफ्तार किया गया है।

क्या है मामला : मुरलीगंज थाना में दर्ज कांड संख्या 9/89 में ही पप्पू यादव की गिरफ्तारी हुई है।यह केस 29 जनवरी 1989 को शैलेन्द्र यादव के सूचना पर दर्ज किया गया था।सूचक शैलेन्द्र यादव ने बताया कि इस घटना की शुरआत केपी कॉलेज के मैदान से हुई। इसी मैदान पर पप्पू यादव और उनके मित्रों में एक लड़की से प्रेम विवाह को लेकर कहा सुनी हुई थी।पप्पू यादव उस विवाह के खिलाफ थे और उनके दोस्त विवाह के पक्ष में थे। दोनों में कहा सुनी हुई । अगले दिन मुरलीगंज के मिडिल चौंक पर इस केस के सूचक शैलेन्द्र यादव ,रामकुमार यादव,उमा यादव ,कृतनारायन यादव आदि पान खा रहे थे जहां से पप्पू यादव की एक गाड़ी गुजरी जिसमे पप्पू यादव रामकुमार यादव और उमा यादव दोनों को अपने साथ बैठा कर मधेपुरा की ओर निकल गए ।अचानक ऐसा देख शैलेन्द्र यादव को लगा कुछ अनहोनी होने वाली है उन्होंने तत्काल घटना की सूचना मुरलीगंज थाना को दिया। जिसके बाद मुरलीगंज थाना में केस संख्या 9/89 दर्ज कर लिया गया। एक दो दिनों में दोनों अपहृत सकुशल अपने घर पहुंच गए। फिर सभी मित्रों में मेल मिलाप हो गया। लेकिन केस चलती रही ।

FIR कॉपी

केस के गवाह कृतनारायन यादव ने बताया हमलोग तो जान रहे थे ये मामला खत्म हो गया होगा। कई बार हम लोगों के द्वारा मेल पिटीशन भी दिया गया। मामले के अन्य आरोपी केस से बरी भी हो गए।लेकिन अब सरकार इस मामले को पप्पू पर नकेल कसने का हथियार बना रही है।

बताया चूंकि ये मामला का कोई मतलब ही नही था सब अपने अपने मे व्यस्त हो गया।बताया पप्पू यादव की ये गिरफ्तारी बस नीतीश कुमार की गन्दी राजनीति का परिचय है।

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इस घटना को केपी कॉलेज के उस समय के प्रोफेसर नागेंद्र यादव कहते है कि ये मामला तो उसी समय खत्म हो गया था लेकिन आज फिर से इसे जिंदा करना गलत है।

सूचक पक्ष के लोग ये समझ कि केस खत्म हो गया सब कुछ छोड़ दिये लेकिन मधेपुरा कोर्ट में इस मामले की सुनवाई होती रही। फरवरी 2020 में पप्पू के गिरफ्तारी हेतु वारंट भी जारी किया गया लेकिन पुलिस निष्क्रिय बनी रही। सात महीने बाद 17 सितम्बर 2020 को कोर्ट ने वारंट के सम्बंध में पूछा तो पुलिस ने कहा वारंट की वो कॉपी चौकीदार से खो गया।उस दिन पुलिस को कोर्ट ने कड़ी फटकार भी लगाई और फिर 17 सितम्बर 2020 को वारंट जारी कर दिया गया। पुलिस अब भी नही जागी और वारंट पर कुछ नही किया।इसी बीच पप्पू यादव समूचे बिहार घूमते रहे ,चुनाव प्रचार किये मधेपुरा भी पहुंचे लेकिन गिरफ्तारी नही हो पाई।

केस के सूचक और गवाह

पुलिस जब इस मामले में पप्पू यादव को गिरफ्तार नही कर पाई तो 22 मार्च 2021 को उनके घर की कुर्की जब्ती का वारंट जारी किया।पुलिस यहां भी फेल हो गयी और अब 11 मई 2021 को नाटकीय ढंग से पटना में पप्पू यादव को पटना में गिरफ्तार कर लिया गया जिसे बाद में मधेपुरा लाया गया और रातों रात जेल में शिफ्ट कर दिया गया।

अब पप्पू यादव गिरफ्तार कर लिए गए है।पूरे बिहार में माहौल गर्म है ।कई सवाल है जो लोगों के जेहन में है जिसका जबाब लोग सरकार से और मधेपुरा पुलिस से मांग रही है।बड़ा दिलचस्प है कि 32 साल बाद पुलिस क्यो जगी ? जब पप्पू यादव पूरा बिहार घूम रहा था ,मधेपुरा में अपने घर पर था तो उसे क्यो अरेस्ट नही किया गया ? मधेपुरा पुलिस क्यो वारंट दबाए रखी ? इस मामले में जो मेल पेटिशन पड़ा उसका क्या हुआ ?

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