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कोरोना जांच को लेकर सीतामढ़ी में चलता रहा हाई वोल्टेज ड्रामा

स्वास्थ्य प्रबन्धक के विरुद्ध नारेबाजी

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सीतामढ़ी/ जहां एक ओर जिलें में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी से निपटने के लिए डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा द्वारा युद्धस्तर पे कार्य किया जा रहा है.मास्क फोर्स के गठन से लेकर,लोगों से दो गज कि दूरी मास्क बहुत जरूरी कि अपील कि जा रही है. डीएम द्वारा कोरोना काल मे अपने किए गए बेहतर कार्यों के लिए दिल्ली तक सुर्खी बटोर चुकें है तथा रेलमंत्री पीयूष गोयल भी अपने ट्वीटर हैंडल के जरिए डीएम कि प्रशंसा कर चुके है. वंही दूसरी ओर सीतामढ़ी सदर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबन्धक अपने कार्यों के जरिए डीएम कि जगहंसाई कराने में जुटे है.

मामला प्रकाश में तब आया जब सदर अस्पताल पहुंचे रुन्नीसैदपुर प्रखंड के माइसर पंचायत के दर्जनों मजदूर अस्पताल प्रबन्धक के विरुद्ध नारेबाजी करने लगें.घण्टों हाई वोल्टेज ड्रामा चलता रहा.

मजदूरों कहना था कि बीतें एक सप्ताह से कोरोना जांच के लिए सदर अस्पताल के स्वास्थ्य प्रबन्धक शम्भूशरण सिंह के कार्यालय चक्कर लगा रहें है परंतु न तो उनके दर्शन होंते है और न फोन पे बातें. अगर कभी फोन पे बातें भी कर ले तो अमानवीय ढंग से उनके द्वारा बात कि जाती है. मजदूरों का कहना था कि अस्पताल प्रशासन उनकी सुध लेने को तैयार नही है.करीब पांच दिन पूर्व स्वास्थ्य प्रबन्धक द्वारा रविवार को सभी मजदूरों को कोरोना जांच के लिए सदर अस्पताल बुलाया गया था.परन्तु जब मजदूर आएं तो स्वास्थ्य प्रबन्धक नदारद थे.इस बीच उन्हें कई फोन भी कि गई परन्तु कोई जवाब नही आया.

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मजदूर अस्पताल में जमे रहे इन सबके बीच किसी अनजान ब्यक्ति द्वारा स्वास्थ्य प्रबन्धक का हवाला देकर कोरोना जांच के लिए आधार कार्ड कि फोटो कॉपी व प्रति ब्यक्ति एक एक हजार रुपए देने कि बात कही गई.रुपये कि बात सुनकर मजदूर भड़क गए व स्वास्थ्य प्रबन्धक के विरुद्ध नारेबाजी करने लगे.मामले को बिगड़ता देख ब्यक्ति वहां से निकल गया.मजदूरों का कहना था कि अगर जांच के लिए प्रति ब्यक्ति को एक एक हजार रुपये नियमतः देना था तो इसकी जानकारी पहले दिया जाना चाहिए था.

बता दे कि कुछ स्वास्थ्यकर्मी अपना नाम छुपाने के दृष्टिकोण से स्वास्थ्य प्रबन्धक के विरुद्ध कई तरह के खुलाशे किए उनका कहना था कि पैसों के बल पे शंभुशरण सिंह सदर अस्पताल में स्वास्थ्य प्रबन्धक के पद पे आसीन हुए है.पूर्व सिविल सर्जन रविंद्र कुमार पैसों कि लेन देन में निगरानी के हत्थे भी चढ़ चुके है.एक मोटी रकम कि लेनदेन के जरिए बिना एमबीए डिग्रीधारक होते हुए इनकी सदर अस्पताल में स्वास्थ्य प्रबंधक के पद पे इन्हें बैठाया गया जबकि कई योग्य ब्यक्ति विभाग में मौजूद थे.

इससे पूर्व में चुना और टेंडर घोटाले को लेकर हुई थी बदनामी : बता दे कि वर्ष 2019 में चुना घोटाला और टेंडर घोटाले के कारण जिलें में स्वास्थ्य विभाग कि काफी बदनामी हो चुकी है और डीएम अभिलाषा कुमारी शर्मा अपने पत्रांक 2281 दिनांक 10.09.19 के तहत दोषियों को चिन्हित कर कार्यवाई का आदेश दिया था परन्तु आजतक उस आदेश पे कोई कार्यवाई तय नही हुई.अब ऐसे में कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के नाम पे गरीब मजदूर से पैसे ऐंठने वाले और उनसे अमानवीय ब्यवहार करने वालों पे क्या कार्यवाई होती है ये देखना दिलचस्प होगा.

मौके पर मो. महमूद मंसूरी,मुश्ताक,मो.मुबारक,मो मुमताज,मो.हकीम मियां,मो सलीम,मो अलाउद्दीन,मो नीरस,मो कयामुद्दीन समेत दर्जनों लोग मौजूद थे.

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