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गांधी के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत

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गाँधी एक व्यक्ति मात्र नहीं है, बल्कि वह एक विचार है- एक दर्शन है। इनके जीवन-दर्शन में देश-दुनिया की सभी समस्याओं का समाधान निहित है। इसलिए उनके विचारों एवं कार्यों को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत है।

यह बात कुलपति प्रोफेसर डॉ. आर. के. पी. रमण ने कही। वे गाँधी शहादत दिवस पर आयोजित श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता कर रहे थे।

कुलपति ने कहा कि गाँधी के विचारों में बेरोजगारी, गरीबी, अशिक्षा, हिंसा, आतंकवाद, माओवाद, धार्मिक विद्वेष एवं पर्यावरण-संकट आदि सभी समस्याओं का समाधान है। गाँधी के बताए मार्ग पर चलकर ही देश-दुनिया का भला हो सकता है।

कुलपति ने कहा कि गाँधी ने भगवद्गीता, कुरान, बाइबिल आदि सभी धर्मग्रंथों का अध्ययन किया था और इनकी शिक्षाओं को अपने जीवन में आत्मसात कर लिया था। उनका जीवन भी एक धर्मग्रंथ की तरह है, जिसमें सभी धर्मग्रंथों का सार निहित है।

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कुलपति ने कहा कि शहादत दिवस संकल्प का दिन है। हमें यह संकल्प लेना चाहिए कि हम गाँधी के आदर्शों को अपने जीवन में उतारेंगे। यदि हम उनके आदर्शों का एक भी पृष्ठ अपने जीवन में अनुकरण कर लेंगे तो हमारा जीवन सार्थक हो जाएगा।

जनसंपर्क पदाधिकारी डाॅ. सुधांशु शेखर ने कहा कि तत्कालीन कुलपति प्रोफेसर डॉ. अवध किशोर राय एवं प्रति कुलपति प्रोफेसर डॉ. फारूक अली के प्रयास से विश्वविद्यालय में महात्मा गाँधी की प्रतिमा स्थापित की गई है। यह एक सराहनीय कार्य है।

उन्होंने कहा कि वर्तमान कुलपति प्रोफेसर डॉ. रमण अपने शिक्षणकाल से ही गाँधी विचार से प्रेरित एवं प्रभावित रहे हैं। इनके नेतृत्व में विश्वविद्यालय गाँधी विचार की पढ़ाई शुरू करने हेतु प्रतिबद्ध है।

स्नातक एवं स्नातकोत्तर स्तर पर गाँधी विचार की पढ़ाई शुरू करने का प्रस्ताव विद्वत परिषद् से पारित हो चुका है। शीघ्र ही इस प्रस्ताव को मूर्तरूप देने के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा।

इस अवसर पर वित्तीय परामर्शी सुरेशचन्द्र दास, अकादमिक निदेशक प्रोफेसर डॉ. एम. आई. रहमान, वित्त पदाधिकारी रामबाबू महतो, डॉ. ललन प्रसाद अद्री, डाॅ. उदयकृष्ण, डॉ. कैलाश प्रसाद यादव, डॉ. नरेश कुमार, डॉ. अबुल फजल, डॉ. शंकर कुमार मिश्र, शंभू नारायण यादव, पृथ्वीराज यदुवंशी आदि उपस्थित थे।

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