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साईकिल चलाकर दिल्ली से त्रिवेणीगंज पहुँचे चार मजूदर, अस्पताल में जांच के नाम पर कुछ भी नहीं

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सतीश कुमार आलोक/त्रिवेणीगंज(सुपौल) जहाँ कोरोना वाईरस के बढ़ते संक्रमण से देश में लॉकडाउन लागू हैं। लोग घरों में कैद हैं, ऐसे में दूसरी तरफ अन्य राज्यों में फंसे मजदूरों के सामने खाने-पीने का संकट खड़ा हो गया है । रोजी-रोटी के समस्या को देखते हुए मजदूर साईकिल से ही हजारों किलोमीटर की दूरी अलापने में मुनासिब समझ रहें हैं। सुपौल जिले के अन्य प्रखंडों के 4 मजदूर रविवार को साईकिल चलाकर आठ दिन के लंबी यात्रा कर दिल्ली से त्रिवेणीगंज पहुँचे हैं। इसकी सूचना जैसे ही लोगों को मिली लोगो मे हड़कंप शुरू हो गया।

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जानकारी मिलने पर कोरोना वाइरस में गरीबो के लिए हमदर्द बनें कोरोना अगेंस्ट टीम से जुड़े सदस्यों ने सभी मजदूर को जांच के लिए अनुमंडलीय अस्पताल ले गई। अस्पताल पहुँचे मजदूर त्रिवेणीगंज प्रखंड के गुड़िया निवासी अजय यादव, प्रतापगंज के भवानीपुर निवासी कुंदन कुमार व गोविंदपुर निवासी प्रभु यादव जबकि राघोपुर के सौराजान निवासी देवनारायण यादव ने बताया कि वे लोग दिल्ली में मजदूरी करते थे। लॉकडाउन बढ़ने के बाद राशन और पैसे खत्म हो गया। खाने-पीने की समस्याओं को देखते हुए आठ दिन पहले ही अपने-अपने नये साईकिल से सभी मजदूर अपने गांव के लिए रवाना हो गए। बताया कि रात- दिन साईकिल चलाकर वे लोग आठ दिन के बाद अपने जिले पहुँचे। चारों मजदूरों को अनुमंडलीय अस्पताल में बनें परामर्श केंद में तैनात काउंसेलर ने जांच की और चौदह दिन परिवार के सदस्यों से अलग रहने का निर्दश दिया।

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अस्पताल में जांच के नाम पर थर्मामीटर भी नहीं अनुमंडलीय अस्पताल के परामर्श केंद में ड्यूटी पर तैनात काउंसेलर इस्तियाक अहमद ने बताया कि दिल्ली से आये चारों मजदूर से पूछताछ किया गया हैं। उसे अपने -अपने क्षेत्रों के मुखिया से संपर्क कर सबों को अलग कोरनटाइन सेंटर में रहने को कहा गया हैं। काउंसेलर ने बताया कि जाँच के नाम पर अस्पताल में थर्मामीटर तक भी नहीं हैं। सस्पेकेड होने पर सुपौल भेजा जाता हैं, वहाँ जांच होती हैं।

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