Kosi Times
तेज खबर ... तेज असर

ये हमारा Archieve है। यहाँ आपको केवल पुरानी खबरें मिलेंगी। नए खबरों को पढ़ने के लिए www.kositimes.com पर जाएँ।

- Sponsored -

- Sponsored -

- sponsored -

बेहतर मानसून के समुचित उपयोग से ही बिहार में खाद्य सुरक्षा को किया जा सकता है सुनिश्चित

- Sponsored -

कोसी टाइम्स डेस्क / भारत एक कृषि प्रधान देश है। प्राचीन समय से ही भारत में कृषि लोगों के जीवन यापन से जुड़ा रहा है। उपजाऊ मिट्टी, बहुसंख्य नदियों का प्रवहन, कृषि योग्य क्षेत्र का फैलाव, किसानों का कठिन परिश्रम एवं मानसून इत्यादि ने मिल कर भारत को खाद्य सुरक्षा की दृष्टि से आत्मनिर्भर बना दिया है।इन सभी कृषि तत्वों में सबसे महतपूर्ण योगदान अच्छे मानसून का है। वर्तमान समय में भी कृषि क्षेत्र खाद्य सुरक्षा, सकल घरेलू उत्पाद की वृद्दि, किसानों के आय, खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को कच्चा माल उपलब्ध कराने, समावेशी आर्थिक विकास, निर्यात, उपभोक्ता मुद्रास्फीति को संतुलित रखने, आपातकालीन समय में खाद्य उपलब्ध कराने, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में माँग और आपूर्ति को बनाए रखने एवं रोज़गार मुहैया कराने में महत्वपूर्ण योगदान देता है।एक तरफ भारत के सकल घरेलू उत्पाद में 15% कृषि का योगदान है। दूसरी तरफ देश का 50% जनसंख्या कृषि और उससे सम्बंधित कार्यों में लगा है। सिंचाई कृषि का सबसे प्रमुख सहायक कारक है। समय-समय पर सिंचाई से ही कृषि उत्पादन में वृद्दि सम्भव है।

भारत का भौगौलिक बनावट में एकरूपता नहीं है। हिमालय से निकलने वाली नदियाँ एवं दक्षिण प्रायद्वीप की नदियाँ अपने अपने-अपने क्षेत्र में सिंचाई के लिए जल उपलब्ध करवाती है लेकिन फिर भी मात्र देश की कुल कृषि क्षेत्र के 52% भाग पर ही सिंचाई की सुविधा है और 48% भाग असिंचित है। कृषि क्षेत्र का सिंचित भाग सिंचाई के लिए मुख्यत 60 बारिश, 20% भू-जल, 10% नहर एवं 10% अन्य स्रोतो पर निर्भर है। भारत बारिश के लिए मुख्यत: मानसून पर निर्भर है जो कि केवल गरमी के मौसम में ही आता है। मानसून का अप्रत्यक्ष प्रभाव भू-जल की उपलब्धता एवं नहरों में पर्याप्त जल को बनाए रखने में भी है। तक़रीबन भारत का कुल खाद्य फ़सल का 50% ग्रीष्मक़ालीन फ़सल के रूप में आता है।भारत में 2019-20 के दौरान 212 लाख मैट्रिक टन अनाज का उत्पादन हुआ जिसमें से 50% ग्रीष्मक़ालीन फ़सल है।

एल नीनो से प्रभावित मानसून वाला साल में भारत में ग्रीष्मकालीन अनाज का उत्पादन 80% कम हुआ है जिसका सीधा असर खाद्य सुरक्षा और खाद्य मुद्रास्फीति पर पड़ा है। एल नीनो से प्रभावित मानसून से सूखा भी पड़ता आया है।कृषि मंत्रालय और भारतीय मौसम विभाग के अनुसार एल नीनो से प्रभावित मानसून वाला साल में सूखा की स्तिथि बनी है।इसका मतलब है की ग्रीष्म क़ालीन मौसम में किसी तरह का परिवर्तन खाद्य सुरक्षा के लिए ख़तरा है। वर्ष 2002 से 2020 तक 6 बार एल नीनो चक्र आ चुका है। अत: मानसून में परिवर्तन कृषि और अर्थव्यवस्था दोनो को प्रभवित करता है।

बिहार में मानसून का खाद्य सुरक्षा में योगदान : हिमालय की नदियों द्वारा बिछाई गई मिट्टी के कारण उत्तरी बिहार, उत्तर-पश्चिम एवं उतर-पूर्व बिहार की मिट्टी बहुत ही उपजाऊ है। उत्तरी बिहार में नदियों का जाल सा बिछा है। नेपाल की पहाड़ी से निकली नदियों में पर्याप्त जल होता है लेकिन विडम्बना है की बाढ़ के कारण 70% अधिशेष जल बर्बाद हो जाता है। 2019 तक बिहार में जल संरक्षण की कोई नीति सरकार द्वारा नहीं बनाई गई थी।दूसरी तरफ दक्षिणी बिहार में भी कई नदियाँ है लेकिन उनकी प्रकृति बरसती नदियों की तरह जिसमें वर्षाकाल में ही जल रहता है। उतरी-पूर्व एवं उतरी बिहार में दक्षिणी-पश्चिमी मानसून का आगमन जून के दूसरे सप्ताह में होता है और तक़रीबन 4 महीने तक रहता है।दक्षिण-पश्चिमी मानसून के बंगाल शाखा से बिहार के उतरी-पूर्वी एवं उतरी भाग में बहुत बारिश होती है। 89% आबादी ग्रामीण क्षेत्रों में रहती है। बिहार की सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान 20% है लेकिन रोज़गार देने में 61% योगदान है। बिहार में कृषि क्षेत्र खाद्य सुरक्षा, रोज़गार उपलब्ध कराने में विशेषकर महिला को रोजागर देने में, ग्रामीण अर्थव्यवस्था के संचालन में एवं आर्थिक विकास को गति प्रदान करने में अहम भूमिका निभाता है।

विज्ञापन

विज्ञापन

बिहार में खेती करने की संरचना में बहुत अंतर है। खाद्य फ़सलें जैसे कि गेहूँ, चावल, मक्का, विभिन्न तरह की दाल के अलावा फ़ाइबर फ़सल, विभिन्न तरह की सब्ज़ियाँ, फल, गन्ना इत्यादि उगाई जाती है। भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर A.P.J. अब्दुल कलाम ने बिहार को कृषि रोड्मैप बनाने की सलाह दिया था और कहा था कि बिहार से ही द्वितीय हरित क्रांति की शुरआत होगी। उनकी सलाह पर ही 2008 से बिहार सरकार ने कृषि रोड्मैप बनाना आरम्भ किया जिसमें प्राथमिकताए निर्धारित किया गया। बिहार में कृषि सिंचाई उत्तर पश्चिम बिहार में नहरों द्वारा, दक्षिण बिहार में कुओं द्वारा, उत्तर-पूर्वी और उत्तर बिहार में मानसून द्वारा होता है। इस तरह से देखा जाए तो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से बिहार सिंचाई के लिए पूरी तरह से मानसून पर निर्भर है। बिहार की यह विडम्बना है की उतरी बिहार जहाँ बाढ़ से प्रभावित रहता है वहीं दक्षिणी बिहार सूखाग्रस्त रहता है।मानसून भी बिहार में किशनगंज के रास्ते प्रवेश करता है और समूचे उतरी बिहार में ज़बरदस्त बारिश करता है लेकिन मानसून की अपनी एक सीमा होती है वो है आद्रता को बनाए रखने की।

एल नीनो एवं ला नीना का मौसमी चक्र बिहार में भी मानसून की बारिश क्षमता को प्रभावित करता है, यानी की एल नीनो होगा तो मानसून कमज़ोर होगी और ला नीना होगा तो मानसून मज़बूत होगी। वर्तमान में कोविड 19 लॉकडाउन के कारण बिहार गम्भीर आर्थिक संकट के दौर से गुज़र रहा है अत: एक बार फिर से कृषि क्षेत्र के मध्यम से आर्थिक विकास को बनाए रखा जा सकता है, याद रहे कृषि क्षेत्र बिहार में बहुसंख्य लोगों को रोज़गार भी देता है।भारतीय मौसम विभाग के अनुसार ला लिना का प्रभाव इस बार मानसून पर होगा यानी कि सामान्य से अधिक बारिश जिसका मतलब है की धान समेत अन्य फ़सलों की उत्पादकता में वृद्दि लेकिन यह तभी संभव है जब मानसून बारिश को संग्रहण करने की कोई योजना हो क्योंकि मानसून लगातार नहीं रहता है इसमें ठहराव भी आता है।

इसलिए ला नीना के कारण मानसून बारिश के अधिशेष जल को संरक्षण करना होगा। इसके लिए बिहार सरकार ने 2019 से जल जीवन हरियाली अभियान चलाया है इसके तहत तालाब, पोखर, पाइन, मोन, कुआँ, घर के छत पर इत्यादि तरीक़ों से बारिश के जल का संग्रहण किया जाएगा। इसके लिए सरकार ने तक़रीबन 24000 करोड़ जारी किया है। इसके अलावा बिहार ने देश में पहली बार ग्रीन बजट पेश किया है जिसमें जलवायु से सम्बंधित प्रावधान है।ला नीना से प्रभावित मानसून का बेहतरीन उपयोग 2020 में किया जाना चाहिए और यह जनसहभागिता के बिना सम्भव नहीं है।इस तरह से बेहतरीन तरीक़े से ही मानसून के जल का संग्रहण कर सकते हैं एवं अच्छी सिंचाई के मध्यम से अनाज उत्पादकता में वृद्दि कर के खाद्य सुरक्षा को सुनिश्चित कर सकते है।

(लेखिका नैनिका भूपेन्द्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय में शोध छात्रा हैं) 

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

- Sponsored -

Get real time updates directly on you device, subscribe now.

आर्थिक सहयोग करे

- Sponsored -

Comments
Loading...