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22 परीक्षाओं में असफलता के बाद भी नही टूटा हिम्मत,अब बीपीएससी में विकास ने पाई सफलता

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पटना/ बिहार में एक बड़ा मशहूर कहावत है जब तक तोड़ेंगे नही तब तक छोड़ेंगे नही. युवाओं में खासकर ये कहावत खासा प्रचलित है और इसको अपना मोटिवेशन मान आगे बढ़ते जाते है.इसी कहावत को मन्त्र मानकार पटना के विकास शशि ने अपना सफर जारी रखा और विभिन्न 22 प्रतियोगी परीक्षा में असफलता के बाद भी लगातार मेहनत करता रहा और 64वीं बीपीएससी में सफलता पा लिया. 823 रैंक लाकर विकास अब एस एसटी कल्याण पदाधिकारी के रूप में तैनात किये जायेंगे.

बात करते हुए विकास शशि ने बताया कि अफसर बनने का सपना बचपन से था और पढ़ाई शुरू से मन लगा कर करता था। बारहवीं में एनडीए की लिखित परीक्षा पास की पर एसएसबी में असफल रहा । तत्पश्चात ऑल इंडिया इंजीनियरिंग परीक्षा दी और एन आई टी इलाहाबाद से इंजीनियरिंग करने का अवसर मिला । कॉलेज में रहते मैंने अफसर बनने की तैयारी शुरू कर दी था और सीडीएस एंट्री , यूईटी एंट्री , टेक्निकल एंट्री इत्यादि की परीक्षाएं दी, परंतु किसी न किसी मोड़ पे असफल हो जाता था । कॉलेज के आखरी वर्ष में कैंपस प्लेसमेंट से मेरा चयन एक निजी कंपनी में बतौर सिटी हेड के पद पर हुआ। मुझे पुणे शहर का मुख्य अधिकारी बनाया गया।

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नौकरी लगने के बाद भी मैंने अपनी तैयारी जारी रखी और एफ कैट, सीडीएस जैसी परीक्षाएं देते रहा, लेकिन अंतिम मेधा सूची में जगह बनाने में असफल रहा । वह नौकरी शानदार दी पर मुझे जो चाहिए था उससे काफी अलग थी, वहाँ काम करते हुए मुझे एहसास हुआ कि यह समय और ऊर्जा का पूर्णतः उपयोग मैं एक ऐसे नौकरी के लिए कर सकता हूँ जिससे मैं देश के काम आ सकू और मुझे लगा कि मैं ये कार्य सरकारी अफसर बन कर सकता हूँ। तहतपश्चात एक साल की नौकरी के बाद मैंने इस्तीफ़ा दे दिया और 2017 में तैयारी करने दिल्ली चला गया।

दिन में 6  घंटे की कोचिंग और 4-5  घंटो की सेल्फ स्टडी करता था । शरीर व मस्तिष्क भले ही थक जाता था, लेकिन मैंने अपने मनोबल को न गिरने दिया, अपने लक्ष्य को अपने प्रेरणा का स्रोत बनाये रखा और लगन के साथ पढ़ाई करता रहा।फौज से जुड़ी सारि परीक्षाओ में निराशा हाथ लगने बाद एक साल की तैयारी जो किसी तपस्या से कम न थी, 2017 -18 तैयारी करने के बाद मैंने 2018 में यूपीएससी प्री दिया परंतु पास न कर पाया । 2017-2021 का सफर चुनौतियों और विफलताओं से भरा हुआ था जिसमे मैंने यूपीएससी प्री, सीएपीएफ का लिखित, मेडिकल,फिजिकल तथा इंटरव्यू भी पास कर लिया था परंतु अंतिम मेधा सूची में 4 अंकों से रह गया । कुछ ऐसा ही हाल कई अन्य परीक्षाओ का भी रहा । परंतु मैंने पिछली विफलताओं की स्मृतियों को कभी अपने पर हावी नहीं होने दिया और हार नहीं मानी। मैंने अपनी हर नाकामयाबी से कुछ न कुछ सीखा और मनोइस्तिथि को मज़बूत और विचारों को सकारात्मक बनाये रखा । बीपीएससी का यह मेरा पहला प्रयास था जब मैंने 2018 में इसका पीटी दिया था 2019 में मेंस की परीक्षा हुईं जिसका परिणाम 2020 में जुलाई में आया और 2021 जनवरी में इसका साक्षात्कार दिया और सफल रहा।

पटना के दानापुर केंट निवासी विकास शशि के पिता शशिधर मिश्रा नेवी से रिटायर है और माँ गीता मिश्रा कुशल गृहणी है. बताया घर में एक छोटा भाई है जो भारतीय नौसेना में तैनात है. एंथ्रोपोलोजी को ऑप्शनल रख श्री विकास ने अंग्रेजी माध्यम से बीपीएससी में सफलता पाई है.अपने सफलता का श्रेय अपने परिवारजनों ,मित्रों और शिक्षकों को दिया है.तैयारी कर रहे युवाओं से उन्होंने कहा मन में बस ठान लीजिए जब तक तोड़ेंगे नही तबतक छोड़ेंगे नही और करते जाइये सफलता मिलना तय है.

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