प्रशांत कुमार
भूपेंद्र नारायण मंडल विश्वविद्यालय के छात्र स्थापना काल से ही अपने भविष्य को लेकर चिंतित रहते है।जिस मंदिर रूपी विश्वविद्यालय में छात्र अपना भविष्य बनते देखना चाहते है वहीं अपने नजरों के सामने अपनी बर्बादी को देख आंसू रोक विभाग का चक्कर लगाते है।
विश्वविद्यालय की छात्र के प्रति बर्बादी का आलम इस कदर है कि पिछले एक महीने से अपने मार्कशीट के लिए विभिन्न जिले के छात्र चक्कर लगा रहे है ऐसे में विभाग के लोग से कार्य नही होता देख छात्र वरीय अधिकारी के पास पहुंचते है तो वहां तानाशाही का सामना करना पड़ता है।
तानाशाही का हद ये है कि छात्र आसानी से प्रति कुलपति या कुलपति के पास नही पहुंच सकते है ।बीते दिन जब छात्र अपने समस्या लेकर प्रति कुलपति फारूक अली के पास पहुंचा तो उसने सीधे शब्दों में कह डाला कि सब काम हो रहा है आराम से रहो ज्यादा परेशान नही होना है ।जब छात्र धरना आंदोलन की बात करते है तो कहते है धरना वरना से कुछ नही होने वाला है।उन्होंने कहा क्या होता है धरना देने से भागलपुर में तीन साल से धरना पर है अखबार के ऑफिस के सामने ।क्या हो गया ?
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हद तो तब हो जाती है जब छात्र या उनके अभिभावक अधिकारी के पास अपना दुखड़ा सुनाते है और दुःख से कहते है कि क्या करे सर नौकरी मिलती नही है अभी अवसर है तो मार्कशीट नही है क्या करे आत्महत्या कर लूं ? इस बात पर जहां पीड़ित को दो अच्छे शब्द की आशा रहती है वहां ताना मिलती है तो वो मायूस होकर वापस बेरंग लौट जाते है।
जानकारी हो कि महीनों से छात्र अपना मार्कशीट लेने के लिए विभाग का चक्कर लगा रहे है।रईसी का अंदाजा इस बात से भी लगाया जा सकता है टेबलेटर साहब गायब हो जाते है काम छोड़कर जब प्रति कुलपति के पास शिकायत जाता है तो जाओ निकलो सब काम हो रहा है।आखिर छात्र कहाँ जाए ?