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एनडीए से उपराष्ट्रपति उम्मीदवार मुप्पावरापू वैंकैया नायडू ने किया नामांकन दाखिल

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संजय कुमार सुमन

Sk.suman379@gmail.com

 

केंद्र में सत्ताधारी भाजपा के नेतृत्व वाली एनडीए से उपराष्ट्रपति उम्मीदवार मुप्पावरापू वैंकैया नायडू ने नामांकन दाखिल दिया।उनके साथ भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह,  केंद्रीय मंत्री राम विलास पासवान समेत कई अन्य बड़े नेता भी मौजूद रहे।नामांकन होने के बाद राम विलास पासवान समेत सभी नेताओं ने उन्हें बधाई दी।

सत्तर के दशक में जब बीजेपी का पूर्ववर्ती संगठन जनसंघ अपनी पहचान बना ही रहा था और दक्षिण में उसका कोई आधार नहीं था, तब आंध्र प्रदेश का एक युवा पार्टी कार्यकर्ता अटल बिहारी वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी जैसे दिग्गजों के पोस्टर लगाने में व्यस्त रहता था।

राजनीतिक कार्यकर्ता के उन दिनों से लंबी दूरी तय करके मुप्पावरापू वेंकैया नायडू सोमवार को एनडीए के उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार चुने जाने तक पहुंचे हैं। इस पद पर उनका काबिज़ होना तय माना जा रहा है।

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आंध्र प्रदेश के नेल्लूर जिले के एक सीधे-सादे कृषक परिवार से ताल्लुक रखने वाले बीजेपी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नायडू को उनकी वाक् क्षमता के लिए जाना जाता है।आंध्र प्रदेश विधानसभा में दो बार सदस्य रह चुके नायडू कभी लोकसभा के सदस्य नहीं रहे।

हालांकि वो तीन बार कर्नाटक से राज्यसभा में पहुंच चुके हैं और फिलहाल उच्च सदन में ही राजस्थान का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं।वेेंकैया नायडू कभी चिपकाते थे पोस्‍टर, आज हैं उपराष्ट्रपति पद के उम्मीदवार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को नायडू को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार चुने जाने के बाद उनके लिए तेलुगू के शब्द ‘गारू’ का इस्तेमाल किया जो किसी को सम्मान देने के लिए बोला जाता है।

मोदी ने ट्वीट किया, ‘एक कृषक पुत्र।एम वेंकैया नायडू गारू सार्वजनिक जीवन में वर्षों का अनुभव रखते हैं और हर राजनीतिक वर्ग में सराहे जाते हैं।’ एक समय आडवाणी के करीबी रहे नायडू ने 2014 के आम चुनावों से पहले प्रधानमंत्री पद के लिए मोदी का ज़ोरदार समर्थन किया।

नायडू फिलहाल सूचना प्रसारण और शहरी विकास मंत्रालयों का कामकाज संभाल रहे हैं।वो मोदी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री भी रह चुके हैं। अटल बिहारी वाजपेयी के समय एनडीए की पहली सरकार में 68 वर्षीय नायडू ग्रामीण विकास मंत्री रहे।

वो जुलाई 2002 से अक्तूबर 2004 तक लगातार दो कार्यकाल में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष रहे। 2004 के लोकसभा चुनावों में पार्टी की हार के बाद उन्होंने पद छोड़ दिया। आपातकाल के समय नायडू एबीवीपी के कार्यकर्ता रहे और जेल में भी रहे।

मोदी सरकार में संसदीय कार्य मंत्री के नाते उन्होंने संसद में सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध की स्थिति में सोनिया गांधी समेत विपक्ष के नेताओं से संपर्क साधकर गतिरोध को दूर करने का प्रयास किया।
अपने भाषण और वक्तव्यों में तुकांत शब्द बोलने के कारण भी उन्हें अच्छा वक्ता माना जाता है।

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