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अंतर्राष्ट्रीय विधवा दिवस पर विधवाओं के मसले पर दिल्ली में 23 जून को होगा राष्ट्रीय सम्मेलन

👉🏻विभिन्न राज्यों के विधवा प्रथा विरोधी नेता कार्यकर्ता जुटेंगे, बनाएंगे भावी रणनीति 👉🏻समारोह में 23 महिला हस्तियों हुईं सम्मानित 👉🏻महिलाओं ने भिडे वाडा वाड़ा में राष्ट्रीय स्मारक बनाने की मांग बुलंद की

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पुणे ब्यूरो/सावित्री बाई सेवा फाउंडेशन को और से 14 मार्च को पुणे के वडगांव शेरी में सावित्री बाई और फातिमा शेख की याद में आयोजित एक सम्मान समारोह में विधवाओं के मसले पर अंतरराष्ट्रीय विधवा दिवस 23 जून को। दिल्ली में राष्ट्रीय सम्मेलन करने का निर्णय किया गया। निर्णय की घोषणा करते हुए महात्मा फुले समाज सेवा मंडल के प्रमोद झिंजाडे ने कहा कि अब विधवा प्रथा को देश से पूरी तरह से खत्म हो जाना चाहिए। उनकी इस घोषणा का समारोह में देश के विभिन्न राज्यों से सावित्री बात फुले फातिमा शेख राष्ट्रीय सम्मान के लिए आई महिला समाज सेविकाओं और पत्रकारों सहित मौके पर मौजूद सैकड़ों महिलाओं ने स्वागत किया।

महाराष्ट्र में विधवा प्रथा के खिलाफ पिछले दो साल से सक्रिय और समारोह के मुख्य अतिथि
प्रमोद झिंजाड़े ने कहा कि विधवा प्रथा का भारतीय समाज में अभी तक बरकरार बने रहना संविधान में स्त्री पुरुषों को दिए गए समानता के अधिकार का उल्लंघन है। उन्होंने महाराष्ट्र में चल रहे विधवा प्रथा विरोधी आंदोलनों के बारे में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह आंदोआन अब केवल महाराष्ट्र तक सीमित नहीं रह गया है। विधवा प्रथा विरोधी अभियान गोवा में भी शुरू हो चुका है। । उन्होंने इस बारे में केंद्र सरकार द्वारा एक कारगर कानून बनाने की जरूरत पर जोर दिया ताकि यह प्रथा पूरे देश में खत्म हो सके।
समारोह के अन्य मुख्य अतिथि और भिडे वाड़ा बचाओ मुहिम के अध्यक्ष प्रशांत यतीश फुले ने सावित्री बाई फुले की पाठशाला की दुर्दशा का जिक्र करते हुए कहा कि उनकी याद में राष्ट्रीय स्मारक के निर्माण के लिए आम जनों खासकर महिलाओं को आंदोलन तेज करना होगा। उन्होंने इसके लिए किए जा रहे संघर्ष का उल्लेख करते हुए कहा कि सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख के योगदान को आज भी याद करने की जरूरत है। अत्याचार और अन्याय झेल रही महिलाओं के लिए सावित्री बाई फुले आदर्श हैं। महिलाओं के शानदार भविष्य के निर्माण के लिए सावित्री बाई फुले की स्मृति प्रेरणादायक है।

इसके पहले कार्यक्रम की शुरुआत सिंगापुर से आई लेखिका अनुसूया साहू ने देश और दुनिया में महिलाओं की दुर्दशा का जिक्र करते हुए कहा कि जब तक बेटा बेटी को बराबर हक नही मिलता तब तक महिलाओं पर थोपी जाने वाली क्रूर प्रथाओं से मुक्त करना मुश्किल है। कार्यक्रम का संचालन कर रहे वरिष्ठ पत्रकार प्रसून लतांत ने 23 जून को दिल्ली में होने वाले विधवा प्रथा विरोधी सम्मेलन में देश के विभिन्न राज्यों के प्रतिनिधियों के शामिल होने की जरूरत पर जोर देते हुए कहा कि यह सम्मेलन सावित्री बाई सेवा फाउंडेशन पुणे और महात्मा फुले समाज सेवा मंडल, सोलापुर के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित किया जायेगा और इसमें राष्ट्रीय महिला आयोग की अध्यक्ष को भी आमंत्रित किया जाएगा ताकि सम्मेलन का संदेश पूरे देश में फेल सके। समारोह में विधवाओं के बीच। साड़ी का वितरण भी किया गया।

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सावित्री बाई सेवा फाउंडेशन की सचिव हेमलता म्हस्के ने कहा कि सावित्रीबाई फुले को सारी दुनिया केवल महिला शिक्षा को बढ़ावा देने वाली रूप में जानती है लेकिन उन्होंने अपने समय मे सैकड़ों विधवाओं का पुनर्वास किया। यह बहुत कम लोग जानते हैं उनकी याद में आज हम सब लोग विधवा प्रथा की खिलाफ देश भर में आंदोलन चलाने के बारे में विचार करने को जुटे हैं।

अपनी संस्था के कार्यों का जिक्र करते हुए कहा कि फाउंडेशन महिलाओं के कल्याण के साथ उनमें अपने अधिकारों के प्रति जागृति लाने के लिए अनेक विषयों पर राष्ट्रीय स्तर पर विमर्श का आयोजन कर चुका है। हेमलता ने कहा कि इसी के तहत विधवा प्रथा विरोधी अभियान चलाने वाले प्रमोद झिंजाडे़ सहित उनके सहयोगियों का सार्वजनिक अभिनंदन किया गया। अध्यक्षीय भाषण के दौरान डा लाला साहब गायकवाड ने समारोह को ऐतिहासिक बताया और कहा कि लड़कियों की जिंदगियां बचाना मानवता को बचाना है। विशिष्ट अतिथि रामावतार साहू ने भी अपने विचार व्यक्त किए ।

समारोह में जिन महिलाओं को सावित्रीबाई फुले फातिमा शेख राष्ट्रीय सम्मान से नवाजा गया उनमें अनुसूया साहू सिंगापुर , विदेसिनी पटेल उड़ीसा , ममता बनर्जी झारखंड, प्रियंका जाधव मुंबई , निक्की शर्मा रश्मि मुंबई, शाहाना परवीन मुजफ्फरनगर उत्तर प्रदेश, विभा कुमारी मधुबनी बिहार, संगीता बढ़े वर्धा महाराष्ट्र, शीतल राजपूत औरंगाबाद महाराष्ट्र, राधिका गुलेरी भारद्वाज कुवैत, रौनक कुमारी जापान, पूनम बारके पुणे महाराष्ट्र , सुनीता चौहान दिल्ली, सपना चंद्र भागलपुर बिहार, डा सुनीता दिल्ली , शिल्पा अरुण वैष्णव गुजरात , शबाना शेख औरंगाबाद महाराष्ट्र , छाया सहरावत दिल्ली , वनिता चंद्रभान दायरे औरंगाबाद महाराष्ट्र , ऋतु भनोट मोहाली पंजाब , गुंजन छाबड़ा दिल्ली के अलावा खासतौर से विधवा प्रथा उन्मूलन के लिए राजू केशव राव शिरसाट नासिक कालिंदी पाटिल अहमदनगर, प्रथमेश सोन बने अहमदनगर , वैदेही सुधीर सावंत, रत्नागिरी मंगल ताई काले पुणे , स्वर्ण सचिन बोडके नासिक , कल्पना श्री रंग मोहिते सोलापुर आदि को भी सावित्री बाई फुले फातिमा शेख राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन प्रसून लतांत और सचिन नऱ्हे ने किया। संयोजन टीम सुनील, ऋषभ, आदित्य शाहबाज आयुष के साथ। ज्योति गंगा सागरे पत्रकार कलाकार प्रशांत नायक भी सहभागी रहे।

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