
संजय कुमार सुमन
sk.suman379@gmail.com
अमेरिका की धमकियों और नाराजगी के बीच भारत रूस से S-400 डिफेंस मिसाइल सिस्टम खरीदने की तैयारी कर रहा है.भारत-रूस के बीच एस-400 मिसाइल सौदे पर हस्ताक्षर हो गए हैं. इस मिसाइल सिस्टम को जमीन से हवा में मार करने वाला दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है. यह सिस्टम एयरक्राफ्ट, क्रूज मिसाइल और यहां तक कि परमाणु मिसाइल को 400 किलोमीटर पहले ही नष्ट कर सकता है.
मालूम हो कि रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अपने दो दिवसीय भारत यात्रा पर हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ वार्षिक द्विपक्षीय शिखर बैठक के लिए रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन दो दिवसीय भारत यात्रा पर गुरुवार को यहां पहुंचे.रूसी राष्ट्रपति के साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल भी आया है जिसमें उप प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोव, विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव और व्यापार एवं उद्योग मंत्री डेनिस मंतुरोव शामिल हैं.

भारत और रूस के बीच संयुक्त बयान के दौरान रूस के राष्ट्रपति ने पुतिन ने कहा कि भारत की यात्रा उनके लिए अहम है और भारत आना उनके लिए गर्व की बात है. भारत के साथ हमेशा सहयोग को तत्पर रहेंगे.आज दोनों देशों के बीच आपसी और वैश्विक हितों को ध्यान में रखते हुए बातचीत हुई. उन्होंने कहा कि दोनों ही देश सुरक्षा-रक्षा-व्यापार के क्षेत्र में मिलकर काम करेंगे. पुतिन ने ऐलान किया कि दोनों देशों ने लक्ष्य रखा है कि 2025 तक दोनों देशों के बीच में 30 बिलियन डॉलर तक व्यापारिक संबंध होंगे.राष्ट्रपति पुतिन ने ब्लाडिवोस्टक फोरम में बतौर मुख्य अतिथि शामिल होने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को न्योता दिया है. गैस उत्पादन में भारत को उचित कीमत पर सुविधा उपलब्ध कराने के लिए रूस प्रतिबद्ध है. इसके अलावा इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में भारत में रूस की कंपनियां काम करने को तैयार हैं.
पुतिन ने ऐलान किया कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की चिंताओं से रूस सहमत है. आतंकवाद विरोधी अभ्यास में दोनों देश एक दूसरे का सहयोग करेंगे. भारत के छात्रों के लिए रूस स्कॉलरशिप देगा जबकि रूसी सैलानियों की संख्या में बढ़ोतरी दोनों देशों के रिश्तों को मजबूत करेगी. इसके अलावा कई अन्य महत्वपूर्ण क्षेत्रों में भी भारत और रूस ने करार किए हैं.

पीएम मोदी ने कहा कि भारत- रूस मैत्री अपने आप में अनूठी है. इस विशिष्ट रिश्ते के लिए राष्ट्रपति पुतिन की प्रतिबद्धता से इन संबंधों को और भी ऊर्जा मिलेगी और हमारे बीच प्रगाढ़ मैत्री और सुदृढ़ होगी और हमारी स्पेशल और प्रीविलेज स्ट्रेटजी पार्टनर्शिप को नई बुलंदियां प्राप्त होंगी. उन्होंने अपने साझा बयान के दौरान कहा कि आतंकवाद के विरूद्ध संघर्ष, अफगानिस्तान तथा इंडो- पासिफिक के घटनाक्रम, जलवायु परिवर्तन, SCO, BRICS जैसे संगठनों एवं G20 तथा ASEAN जैसे संगठनों में सहयोग करने में हमारे दोनों देशों के साझा हित हैं. हम अंतरराष्ट्रीय संस्थानों में अपने लाभप्रद सहयोग को जारी रखने पर सहमत हुए हैं.
पीएम मोदी ने कहा कि मानव संसाधन विकास से लेकर प्राकृतिक संसाधन तक, व्यापार से लेकर निवेश तक, नाभिकीय ऊर्जा के शान्तिपूर्ण सहयोग से लेकर सौर ऊर्जा तक, तकनीक से लेकर टाइगर कन्ज़र्वेशन तक, सागर से लेकर अंन्तरिक्ष तक, भारत और रूस के सम्बन्धों का और भी विशाल विस्तार होगा.
भारत ने संकेत दिए हैं कि अमेरिकी प्रतिबंधों के बावजूद वह करार की दिशा में आगे बढ़ेगा. भारत अपने वायु रक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए लंबी दूरी की मिसाइल प्रणाली खरीदना चाहता है, खासतौर पर लगभग 4,000 किलोमीटर लंबी चीन-भारत सीमा के लिए. रूस भारत के प्रमुख हथियार आपूर्तिकर्ताओं में से एक रहा है. सूत्रों ने पहले कहा था कि मोदी और पुतिन ईरान से कच्चे तेल के आयात पर अमेरिकी प्रतिबंधों के प्रभाव पर भी विचार करेंगे. पीएम मोदी के साथ बातचीत करने के अलावा रूसी नेता पुतिन शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद के साथ भी बैठक करेंगे. वह प्रतिभाशाली बच्चों के एक समूह के साथ भी बातचीत करेंगे और भारत-रूस व्यापार बैठक को संबोधित करेंगे.
अमेरिका ने कहा है कि रूस के साथ एस-400 प्रक्षेपास्त्र प्रणाली खरीदने के लिए किया जाने वाला समझौता एक ‘महत्वपूर्ण’ व्यापार समझौता माना जाएगा. अमेरिकी प्रतिबंधों का सामना कर रहे रूस के साथ किसी देश पर दंडनीय प्रतिबंध लगाने के लिए काफी है. अमेरिकी सरकार ‘ अमेरिका के विरोधियों से प्रबिबंधों के माध्यम से मुकाबला करने का अधिनियम’ (सीएएटीएसए) के तहत ईरान, उत्तर कोरिया और रूस के साथ ‘महत्वपूर्ण व्यापारिक लेनदेन’ करने वाले देश पर प्रतिबंध लगा सकती है. लेकिन ऐसा लगता है कि अमेरिका की इस चेतावनी के बाद भी इस रक्षा प्रणाली के लिए कदम बढ़ाने की इच्छुक है. इस सिस्टम को खरीदने के लिए भारत को पांच अरब डॉलर तक खर्च करने पड़ सकते हैं. भारत अपने वायु रक्षा तंत्र को मजबूत करने के लिए लंबी दूरी की मिसाइल प्रणाली खरीदना चाहता है, खासतौर पर लगभग 4,000 किलोमीटर लंबी चीन-भारत सीमा के लिए.
अमेरिका को भारत और रूस की यही दोस्ती रास नहीं आ रही. इधर पाकिस्तान की भी इस करार पर नजर है. पुतिन की भारत यात्रा से ठीक पहले अमेरिका ने अपने सहयोगी देशों को रूस के साथ किसी तरह के महत्वपूर्ण खरीद-फरोख्त समझौते की दिशा में बढ़ने से आगाह किया और संकेत दिया है कि ऐसे मामले में वह प्रतिबंधात्मक कार्रवाई कर सकता है. S-400 300 किलोमीटर की रेंज तक मार कर सकता है. यह ‘फायर एंड फॉरगेट’ की नीति पर काम करता है. S-400 जहां कई स्तर के डिफेंस सिस्टम पर काम करता है.
- इस मिसाइल सिस्टम को जमीन से हवा में मार करने वाला दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार माना जाता है. यह सिस्टम एयरक्राफ्ट, क्रूज मिसाइल और यहां तक कि परमाणु मिसाइल को 400 किलोमीटर पहले ही नष्ट कर सकता है.
- इसमें तीन प्रमुख चीजें लगी हुई हैं. मिसाइल लॉन्चर, शक्तिशाली रडार और कमांड सेंटर.
- इसमें लगा हुआ रडार 600 किलोमीटर की दूरी तक लक्ष्य को देख सकता है. उदाहरण के लिए भारत में यह सिस्टम लगा है तो सीमा पर देश की सीमा से बाहप भी उड़ रहे एयरक्राफ्ट पर इसकी नजर होगी. इससे आप अंदाजा लगा सकते हैं दुश्मन के लिए यह कितना खतरनाक साबित हो सकता है.
- इस सिस्टम को रूस की सरकारी कंपनी अलमाज-एंटी ने बनाया है. इस हथियार का नाम एस-400 है लेकिन नॉर्थ अटलांटिक ट्रीटी ऑर्गेनाइजेश यानी नॉटो में इसको एसए-21 ग्रॉउलर भी कहा जाता है.
- नॉटो इस सिस्टम की दूर तक मार करने की क्षमता की वजह से दुनिया का सबसे खतरनाक हथियार मानता है. एस-400 दुश्मन के सभी हवाई हमलों को नष्ट कर सकता है और यह जमीन में लड़ रहे सैनिकों की मदद भी रोक सकता है.
- विशेषज्ञों का कहना है कि इस सिस्टम के जरिए किसी भी सैन्य अभियान को वायुसेना से मिलने वाली मदद को जबरदस्त तरीके से प्रभावित कर सकता है. रूस ने इस सिस्टम के जरिए सीरिया में स्थापित अपने सैन्य अड्डों की आसानी रक्षा करता है. 400 किलोमीटर तक बाज सी नजर रखने वाला यह रक्षातंत्र मिसाइल के जरिए सीरिया की सीमा के बाहर उड़ रहे फाइटर प्लेन को निशाना बनाता है.
- एस-400 किसी भी तरह के आधुनिक फाइटर प्लेन से आसानी से निपट सकता है. आधुनिक जेट फाइटर जो उच्च तकनीक से लैस होते हैं वह भी इस सिस्टम के आगे कुछ भी नहीं कर पाते हैं.
- 2007 में इसका पहली बार इस्तेमाल मॉस्को की रक्षा के लिए किया गया था. इसके लॉन्चर से 48N6 सीरीज की मिसाइलें लॉन्च की जा सकती हैं जिनके जरिए बड़ी तबाही मचाई जा सकती है.
- एस-400 की तुलना अमेरिका की पैट्रिऑट एंटी-बैलिस्टिक मिसाइल और एंटी-एयक्राफ्ट मिसाइल से सिस्टम से तुलना की जाती है.
- चीन ने इस सिस्टम को पहले ही खरीद रखा है हालांकि अभी तक यह पता नहीं चल पाया है कि इसमें उसने कौन सी मिसाइलें लगा रखी हैं.
- वर्तमान में एस-400 ट्रिंफ सिस्टम में लगने वाली मिसाइल हवाई खतरे को मार गिराने के लिए 143 किलोग्राम हाइली एक्सप्लोसिव फ्रेगमेंटेशन का इस्तेमाल करती है.हालांकि, रूस एक अन्य मिसाइल 77N6 का विकास कर रहा है, जो अमेरिकी पैट्रियॉट एयर डिफेंस सिस्टम की तरह हिट-टू-किल क्षमता वाली होगी. वर्तमान प्रणाली के साथ लगी मिसाइलें विमान और ड्रोन को भी नष्ट कर सकती है, वहीं 77N6 विशेष रूप से बैलिस्टिक मिसाइल खतरे को लक्षित करने के लिए तैनात की जाएगी.
Comments
